श्री चित्रगुप्त जी की आरती – अर्थ सहित | तथ्य | लाभ | अवसर और पाठ का समय

श्रेणी:God's Aarti
उपश्रेणी: Chitragupta ji Aarti
श्री चित्रगुप्त जी की आरती – अर्थ सहित | तथ्य | लाभ | अवसर और पाठ का समय
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 परिचय – चित्रगुप्त जी महाराज

  1. चित्रगुप्त जी यमराज के दिव्य सचिव (लेखाकार) माने जाते हैं, जिन्हें प्रत्येक जीव के कर्मों (पुण्य और पाप) का लेखा-जोखा रखने का कार्य सौंपा गया है।
  2.  वह मृत्युपरांत न्याय के समय आत्मा के कर्मों के आधार पर निर्णय में सहायता करते हैं। उनकी कलम और लेखनी धर्म, सत्य और कर्म के प्रतीक माने जाते हैं।
  3.  चित्रगुप्त जी की आरती का पाठ करने से जीवन में सत्यनिष्ठा, न्यायप्रियता और आध्यात्मिक अनुशासन की भावना उत्पन्न होती है।
  4.  इनकी आरती दीपावली के अगले दिन (चित्रगुप्त पूजन) और यम द्वितीया के दिन विशेष रूप से की जाती है।
  5. मान्यता है कि आरती का श्रद्धापूर्वक पाठ पापों का नाश करता है, बुद्धि और विवेक प्रदान करता है, और जीवन में सदाचार एवं धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।




श्री चित्रगुप्त जी की आरती

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,स्वामी जय चित्रगुप्त हरे। भक्त जनों के इच्छित,फल को पूर्ण करे॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,सन्तन सुखदायी। भक्तन के प्रतिपालक,त्रिभुवन यश छायी॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

रूप चतुर्भुज,श्यामल मूरति, पीताम्बर राजै। मातु इरावती,दक्षिणा, वाम अङ्ग साजै॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

कष्ट निवारण, दुष्ट संहारण,प्रभु अन्तर्यामी। सृष्टि संहारण, जन दुःख हारण,प्रकट हुये स्वामी॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

कलम, दवात, शङ्ख,पत्रिका, कर में अति सोहै। वैजयन्ती वनमाला,त्रिभुवन मन मोहै॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

सिंहासन का कार्य सम्भाला,ब्रह्मा हर्षाये। तैंतीस कोटि देवता,चरणन में धाये॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

नृपति सौदास, भीष्म पितामह,याद तुम्हें कीन्हा। वेगि विलम्ब न लायो,इच्छित फल दीन्हा॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

दारा, सुत, भगिनी,सब अपने स्वास्थ के कर्ता। जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,तुम तज मैं भर्ता॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

बन्धु, पिता तुम स्वामी,शरण गहूँ किसकी। तुम बिन और न दूजा,आस करूँ जिसकी॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,प्रेम सहित गावैं। चौरासी से निश्चित छूटैं,इच्छित फल पावैं॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

न्यायाधीश बैकुण्ठ निवासी,पाप पुण्य लिखते। हम हैं शरण तिहारी,आस न दूजी करते॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥

 


 चित्रगुप्त जी के प्रमुख तथ्य 

  1.  दिव्य लेखाकार एवं कर्मों के निर्णायक
    चित्रगुप्त जी यमराज के सहायक के रूप में प्रत्येक जीव के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं और मृत्यु के पश्चात आत्मा के न्याय में सहयोग करते हैं।
  2.  न्याय, धर्म और सत्य के प्रतीक
    इनकी पूजा से जीवन में नैतिकता, ईमानदारी, जिम्मेदारी और धार्मिक अनुशासन को बढ़ावा मिलता है
  3.  चित्रगुप्त पूजा (यम द्वितीया) के दिन विशेष पूजा
    दीपावली के अगले दिन मनाया जाने वाला चित्रगुप्त पूजन विशेष रूप से कायस्थ समाज द्वारा किया जाता है।
  4.  कलम, दवात और बही के साथ चित्रित
    इनकी मूर्ति अक्सर कलम, दवात और कर्मों की बही के साथ होती है, जो शिक्षा, लेखन और ज्ञान की शक्ति का प्रतीक है।
  5.  प्रमुख मंदिर और पूजा का लाभ
    कांचीपुरम (तमिलनाडु) और कायस्थपुर (उत्तर प्रदेश) में इनकी प्रमुख पूजा होती है।
    इनकी आरती, स्तोत्र या नामस्मरण से पापों का नाश, ज्ञान की प्राप्ति और आत्मिक शुद्धता प्राप्त होती है।

 चित्रगुप्त जी की आरती कब करें

  1.  चित्रगुप्त पूजा (यम द्वितीया / भाई दूज) के दिन
    दीपावली के अगले दिन मनाया जाने वाला यह पर्व चित्रगुप्त जी की पूजा का सबसे शुभ अवसर होता है, विशेष रूप से कायस्थ समाज द्वारा।
  2.  अमावस्या या पूर्णिमा को
    यह दोनों तिथियाँ आध्यात्मिक रूप से अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती हैं। इन दिनों आरती करने से कर्मों का शुद्धिकरण होता है।
  3.  नियमित या साप्ताहिक पूजा में
    हर रविवार या सोमवार को चित्रगुप्त जी की आरती करना श्रेष्ठ होता है, विशेष रूप से सत्य, न्याय और आत्म-विश्लेषण के लिए।
  4.  विशेष अवसरों पर
    जैसे – नई डायरी या खाता शुरू करना, परीक्षा से पहले, लेखन कार्य आरंभ करते समय या जब जीवन में नैतिक निर्णय की आवश्यकता हो — इन अवसरों पर आरती करने से विवेक और स्पष्टता मिलती है।


आरती का श्रेष्ठ समय

  1.  प्रातःकाल (ब्रह्म मुहूर्त) – सुबह 4:00 बजे से 6:00 बजे के बीच
    यह समय मानसिक शुद्धता, ध्यान और आत्मिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
  2.  संध्या समय – शाम 6:00 बजे से 7:30 बजे तक
    विशेष रूप से दीपदान, आरती और दिन की समाप्ति पर आत्म-चिंतन हेतु यह समय अत्यंत पवित्र होता है
  3.  विधि
    आरती से पहले धूप, दीप, पुष्प और जल अर्पित करके पूजा करें, फिर श्रद्धा भाव से आरती का पाठ करें। इससे आत्मिक बल, सत्य मार्ग पर चलने की प्रेरणा और पूर्व कर्मों की शुद्धि प्राप्त होती है।

 भारत के 5 प्रसिद्ध चित्रगुप्त जी के मंदिर

  1.  चित्रगुप्त मंदिर – काशी (वाराणसी), उत्तर प्रदेश
    वाराणसी के कामच्छा क्षेत्र में स्थित यह मंदिर चित्रगुप्त जी को समर्पित सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। कायस्थ समाज के लिए यह एक अत्यंत पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है।
  2.  चित्रगुप्त मंदिर – मथुरा, उत्तर प्रदेश
    यह मंदिर विशेष रूप से चित्रगुप्त पूजा और भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं से भरा रहता है। कायस्थ समुदाय के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण उपासना स्थल है।
  3.  चित्रगुप्त मंदिर – अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
    अलीगढ़ में स्थित यह प्रसिद्ध मंदिर दीपावली और यम द्वितीया के दौरान हजारों भक्तों को आकर्षित करता है। यहाँ नियमित रूप से पूजा और आरती होती है।
  4.  चित्रगुप्त धाम – बरेली, उत्तर प्रदेश
    यह धाम चित्रगुप्त जयंती के भव्य आयोजन और सामुदायिक कार्यक्रमों के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्रीय कायस्थ समाज के लिए एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र है।
  5.  चित्रगुप्त जी मंदिर – दिल्ली (करोल बाग)
    उत्तर भारत के भक्तों के बीच यह मंदिर विशेष लोकप्रिय है। यहाँ नियमित आरती, भजन संध्या और सामूहिक पूजा कार्यक्रम होते रहते हैं। इन मंदिरों में पूजा से सत्य, न्याय, और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।

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