श्री कुबेर देव आरती – हिंदी व अंग्रेज़ी में अर्थ सहित | तथ्य | लाभ | अवसर और पाठ का समय

श्रेणी:God's Aarti
उपश्रेणी:Kuber ji Arti
 श्री कुबेर देव आरती – हिंदी व अंग्रेज़ी में अर्थ सहित | तथ्य | लाभ | अवसर और पाठ का समय
 श्री कुबेर देव आरती – हिंदी व अंग्रेज़ी में अर्थ सहित | तथ्य | लाभ | अवसर और पाठ का समय Icon

 भगवान कुबेर जी का परिचय

  1. भगवान कुबेर को हिंदू धर्म में धन, समृद्धि और खजाने के देवता माना जाता है। वे देवताओं के आधिकारिक कोषाध्यक्ष (धनपाल) भी हैं।
  2. वे उत्तर दिशा के दिक्पाल (रक्षक) माने जाते हैं और आमतौर पर वित्तीय वृद्धि और सफलता के लिए पूजा जाते हैं।
  3.  कुबेर आरती एक पवित्र स्तुति है, जिसे कुबेर जी की कृपा प्राप्त करने के लिए गाया जाता है — जिससे धन, स्थिरता और संपत्ति की रक्षा होती है।
  4.  यह आरती विशेष रूप से धनतेरस, दीवाली, पूर्णिमा, और कुबेर यंत्र स्थापना के समय की जाती है।
  5. श्रद्धा से कुबेर आरती का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा, भाग्य, और घर-व्यवसाय में समृद्धि का आगमन होता है।





 कुबेर आरती 

ॐ जै यक्ष कुबेर हरे,स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे। शरण पड़े भगतों के,भण्डार कुबेर भरे॥

ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,स्वामी भक्त कुबेर बड़े। दैत्य दानव मानव से,कई-कई युद्ध लड़े॥

ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

स्वर्ण सिंहासन बैठे,सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे। योगिनी मंगल गावैं,सब जय जय कार करैं॥

ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

गदा त्रिशूल हाथ में,शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे। दुख भय संकट मोचन,धनुष टंकार करें॥

ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

भाँति भाँति के व्यंजन बहुत बने,स्वामी व्यंजन बहुत बने। मोहन भोग लगावैं,साथ में उड़द चने॥

ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

बल बुद्धि विद्या दाता,हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े ,अपने भक्त जनों के,सारे काम संवारे॥

ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

मुकुट मणी की शोभा,मोतियन हार गले, स्वामी मोतियन हार गले। अगर कपूर की बाती,घी की जोत जले॥

ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

यक्ष कुबेर जी की आरती,जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे। कहत प्रेमपाल स्वामी,मनवांछित फल पावे॥

ॐ जै यक्ष कुबेर हरे...॥



 भगवान कुबेर जी से जुड़े प्रमुख तथ्य

  1. भगवान कुबेर – धन और समृद्धि के देवता
    भगवान कुबेर को देवताओं के कोषाध्यक्ष के रूप में जाना जाता है। वे धन, वैभव और वित्तीय स्थिरता के दिव्य रक्षक हैं।
  2. उत्तर दिशा के रक्षक और यक्षों के राजा
    कुबेर जी को उत्तर दिशा के दिक्पाल माना जाता है और उन्हें वास्तु तथा धन संबंधित अनुष्ठानों में पूजा जाता है। वे यक्षों के राजा भी हैं — जो प्राकृतिक खजानों की रक्षा करते हैं।
  3. लक्ष्मी जी के साथ पूजा – धनतेरस और दीपावली पर
    कुबेर जी की पूजा अक्सर माँ लक्ष्मी के साथ धनतेरस, दीपावली, और पूर्णिमा पर की जाती है। इन अवसरों पर कुबेर यंत्र स्थापित कर धन आकर्षण हेतु पूजा की जाती है।
  4. धर्मग्रंथों में उल्लेख
    भगवान कुबेर का वर्णन रामायण, महाभारत, और पुराणों में मिलता है। वे लोकपाल (दिशाओं के रक्षक) हैं और कभी लंका के शासक भी रहे, जिसे बाद में रावण ने छीन लिया था।
  5. स्वरूप और निवास – कैलाश के पास अलकापुरी
    भगवान कुबेर को नाटे, थुलथुले शरीर वाले देवता के रूप में दर्शाया जाता है, जिनके हाथ में धन की पोटली या मणि की थैली होती है। उनका निवास सुनहरी नगरी अलकापुरी है, जो माउंट कैलाश के समीप स्थित मानी जाती है।




कुबेर जी की पूजा कब करें

  1. दैनिक पूजा (नित्य पूजा)
      श्रेष्ठ समय:
    – प्रातः: 6:00 AM – 8:00 AM
    – संध्या: 6:00 PM – 7:30 PM
      अपने दिन की शुरुआत या अंत कुबेर जी की आरती से करने से सकारात्मकता आती है, और विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं। 
  2. धनतेरस, दीपावली और पूर्णिमा पर
    ये पर्व धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए विशेष होते हैं।
    🕒 श्रेष्ठ समय:
    – प्रातः एवं रात्रि दोनों समय (विशेषकर पूजा के समय 7:00 PM – 9:00 PM)।
      इन अवसरों पर कुबेर यंत्र की स्थापना के साथ आरती करना शुभ माना जाता है।
  3. प्रत्येक माह की पूर्णिमा एवं पुष्य नक्षत्र में
    पूर्णिमा और पुष्य नक्षत्र का संयोग धन लाभ के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
      आरती का समय: चंद्र दर्शन के बाद (रात्रि 8:00 PM – 10:00 PM)।
      इस दिन व्रत के उपरांत आरती करने से विशेष पुण्य और धन वृद्धि होती है।
  4. किसी भी शुभ कार्य से पहले
    जैसे – गृह प्रवेश, शादी, नई दुकान/कार्यालय आरंभ, परीक्षा इत्यादि।
      श्रेष्ठ समय: कार्य से पहले प्रातः 6:00 AM – 8:00 AM
      कुबेर जी की आरती से समृद्धि, सफलता, और विघ्नों से सुरक्षा प्राप्त होती है।
  5. मंगलवार और बुधवार को विशेष रूप से
    ये दिन धन संबंधित देवताओं और व्यापार वृद्धि से जुड़े होते हैं।
      श्रेष्ठ समय:
    – प्रातः: 7:00 AM – 9:00 AM
    – संध्या: 6:00 PM – 7:30 PM
      इन दिनों आरती करने से व्यवसाय, निवेश, और आर्थिक स्थिरता में लाभ होता है।


 भारत में भगवान कुबेर जी के 4 प्रमुख मंदिर

  1. कुबेर मंदिर – कुबेर धाम, कैथी (उत्तर प्रदेश)
      स्थान: कैथी, वाराणसी के पास (उत्तर प्रदेश)
      विशेषता: यह भगवान कुबेर को समर्पित प्रमुख मंदिरों में से एक है, जो गंगा और गोमती नदियों के संगम पर स्थित है।
      उत्तम समय: धनतेरस, कार्तिक पूर्णिमा, और गुरुवार को दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  2. श्री कुबेरनाथ मंदिर – खाटू (राजस्थान)
      स्थान: खाटू नगर, सीकर जिला, राजस्थान
      विशेषता: यह मंदिर प्रसिद्ध खाटू श्याम मंदिर के निकट स्थित है और आर्थिक शांति एवं समृद्धि की कामना करने वाले श्रद्धालुओं द्वारा विशेष रूप से पूजा जाता है।
      टिप्पणी: यहाँ हर एकादशी और पूर्णिमा को विशेष दर्शन एवं पूजन होता है।
  3. कुबेरेश्वर धाम – सीहोर (मध्य प्रदेश)
      स्थान: इंदौर के पास, सीहोर, मध्य प्रदेश
      विशेषता: यह धाम पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा स्थापित किया गया है और यहाँ कुबेर कथा, कुबेर पूजा एवं अन्य शक्तिशाली अनुष्ठान होते हैं।
      मुख्य आकर्षण: हनुमान जयंती और कुबेर पूजा महोत्सव के समय यहाँ हजारों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।
  4. कुबेर टीला – अयोध्या (उत्तर प्रदेश)
      स्थान: राम जन्मभूमि परिसर, अयोध्या
    विशेषता: यह एक प्राचीन स्थल है, जहाँ कुबेर जी का मंदिर पुनः विकसित किया जा रहा है। यह स्थान अयोध्या की ऐतिहासिक आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है।
      वर्तमान स्थिति: यह स्थल श्रीराम मंदिर परियोजना के अंतर्गत पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में है।


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