परिचय
- स्तम्भन शक्ति की शक्तिशाली देवी
माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं हैं, जो शत्रुओं, नकारात्मक शक्तियों और विरोधियों को परास्त करने की क्षमता रखती हैं। वे शत्रुओं की वाणी और बुद्धि को रोकने वाली देवी हैं। - रक्षा और विजय के लिए आरती
इनकी आरती विशेष रूप से शत्रु बाधा, कोर्ट केस, कर्ज, और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव हेतु की जाती है। इससे मानसिक बल, साहस और सुरक्षा प्राप्त होती है। - तंत्र साधना में विशेष पूज्या
तांत्रिक साधना करने वाले साधकों द्वारा माँ बगलामुखी की आरती और मंत्रों का जप विशेष रूप से बगलामुखी जयंती, अमावस्या, और गुप्त नवरात्रि में किया जाता है। - संध्या समय आरती का श्रेष्ठ फल
इनकी आरती संध्या के समय या रात्रिकालीन साधना के समय करना अत्यंत फलदायी माना गया है। विशेष रूप से मंगलवार और अमावस्या को आरती करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। - सच्ची भक्ति से मनोकामना पूर्ण होती है
नियमपूर्वक आरती और उपासना करने से जीवन में विजय, स्थिरता, और शांति प्राप्त होती है — चाहे वह व्यक्तिगत जीवन हो या व्यावसायिक क्षेत्र।
श्री बगलामुखी माता जी की आरती
जय जय श्री बगलामुखी माता, आरति करहुँ तुम्हारी॥ (x2)
पीत वसन तन पर तव सोहै, कुण्डल की छबि न्यारी॥
कर-कमलों में मुद्गर धारै, अस्तुति करहिं सकल नर-नारी॥
जय जय श्री बगलामुखी माता...।
चम्पक माल गले लहरावे, सुर नर मुनि जय जयति उचारी॥
त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब, भक्ति सदा तव है सुखकारी॥
जय जय श्री बगलामुखी माता...।
पालत हरत सृजत तुम जग को, सब जीवन की हो रखवारी॥
मोह निशा में भ्रमत सकल जन, करहु हृदय महँ तुम उजियारी॥
जय जय श्री बगलामुखी माता...।
तिमिर नशावहु ज्ञान बढ़ावहु, अम्बे तुमही हो असुरारी॥
सन्तन को सुख देत सदा ही, सब जन की तुम प्राण पियारी॥
जय जय श्री बगलामुखी माता...।
तव चरणन जो ध्यान लगावै, ताकौ हो सब भव-भयहारी॥
प्रेम सहित जो करहिं आरती, ते नर मोक्षधाम अधिकारी॥
जय जय श्री बगलामुखी माता...।
॥ दोहा ॥
बगलामुखी की आरती, पढ़ै सुनै जो कोय।
विनती कुलपति मिश्र की, सुख-सम्पत्ति सब होय॥
प्रमुख तथ्य
- आठवीं महाविद्या: बगलामुखी माता दस महाविद्याओं में आठवीं हैं, जो शत्रुओं को स्तम्भित (अचल) करने की शक्ति देती हैं।
- स्तम्भन शक्ति की देवी: यह देवी नकारात्मक शक्तियों, दुश्मनों और बुरी वाणी को रोकने की अद्भुत शक्ति प्रदान करती हैं।
- पीला रंग विशेष प्रतीक: बगलामुखी माता का प्रिय रंग पीला है — उन्हें पीले वस्त्र, पीले पुष्प और पीले भोग अर्पित किए जाते हैं।
- विशेष प्रतिमा रूप: देवी को अक्सर राक्षस की जीभ या मुख पकड़ते हुए दिखाया जाता है, जो बुरी वाणी और झूठ पर नियंत्रण का प्रतीक है।
- प्रमुख मंदिर – पीताम्बरा पीठ, दतिया: मध्यप्रदेश के दतिया में स्थित यह मंदिर बगलामुखी माता का सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थल है, जहाँ साधक विजय, सुरक्षा और तांत्रिक शक्ति की प्राप्ति हेतु आते हैं।
बगलामुखी माता जी की आरती कब करें
- प्रत्येक दिन संध्या समय (प्रातः और सायं)
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, विशेषकर ब्रह्म मुहूर्त, माता की आरती के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है - गुरुवार और अमावस्या के दिन
गुरुवार गुरु तत्व से जुड़ा है और अमावस्या तांत्रिक साधना के लिए विशेष दिन है, जब बगलामुखी पूजा प्रभावशाली होती है। - नवरात्रि एवं गुप्त नवरात्रि (अष्टमी / नवमी)
नवरात्रि में विशेष रूप से अष्टमी और नवमी को की गई आरती देवी की कृपा और शत्रु नाश की शक्ति प्रदान करती है। गुप्त नवरात्रि साधकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। - कोर्ट केस या प्रतियोगिता से पहले
जो साधक न्यायालय, राजनीति या वाद-विवाद में विजय पाना चाहते हैं, उनके लिए माता की आरती अत्यंत फलदायी मानी जाती है। - साधना, हवन या अनुष्ठान के बाद
तांत्रिक या मंत्र साधना पूर्ण होने के बाद की गई आरती साधना को पूर्ण बनाती है और स्तम्भन शक्ति प्रदान करती है।
भारत के 5 प्रमुख बगलामुखी माता मंदिर
- बगलामुखी माता मंदिर, दतिया (मध्य प्रदेश)
यह माँ बगलामुखी का सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली मंदिर है।
तांत्रिक साधना, शत्रु पर विजय, और विशेष अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध।
नवरात्रि और गुरुवार को विशेष भीड़ रहती है। - बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा (आगर मालवा, मध्य प्रदेश)
यह एक प्राचीन मंदिर है जहाँ यज्ञ और अनुष्ठान किए जाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि सतयुग में यहाँ माँ स्वयं प्रकट हुई थीं। - श्री कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी (असम) – बगलामुखी पीठ
यह मंदिर 10 महाविद्याओं में शामिल है और कामाख्या परिसर का हिस्सा है।
तांत्रिक साधना करने वालों के लिए अत्यंत पावन स्थल है। - बगलामुखी मंदिर, बन्खंडी (कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश)
हिमालय की गोद में स्थित शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर मंदिर।
प्रसिद्ध ज्वालामुखी शक्तिपीठ के निकट स्थित है। - बगलामुखी मंदिर, पीतमपुरा (नई दिल्ली)
यह एक आधुनिक और सुलभ मंदिर है जो दिल्ली में स्थित है।
नियमित आरती, पूजन और व्रत आयोजन यहाँ होते हैं।