भगवान भैरव जी का परिचय एवं भैरव आरती
- भगवान भैरव भगवान शिव के एक उग्र और रक्षक रूप हैं, जिन्हें सामान्यतः काल भैरव या भैरवनाथ कहा जाता है।
- वे मंदिरों और पवित्र स्थलों के क्षेत्रपाल (रक्षक देवता) माने जाते हैं। इनकी पूजा भय, काला जादू और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा के लिए की जाती है।
- भैरव आरती भगवान भैरव से सुरक्षा, साहस, न्याय एवं आध्यात्मिक बल प्राप्त करने के लिए श्रद्धापूर्वक गाई जाती है।
- यह आरती विशेष रूप से रविवार, कालाष्टमी, और मध्यरात्रि की विशेष पूजाओं में की जाती है, जिससे शीघ्र फल की प्राप्ति होती है।
- श्रद्धालु मानते हैं कि भैरव आरती का पाठ करने से तुरंत कृपा, शत्रु विजय, और आत्मिक अनुशासन प्राप्त होता है।
भैरव जी की आरती
जय भैरव देवा प्रभुजय भैरव देवा, सुर नर मुनि सबकरते प्रभु तुम्हरी सेवा॥
ॐ जय भैरव देवा...॥
तुम पाप उद्धारकदुःख सिन्धु तारक, भक्तों के सुखकारकभीषण वपु धारक॥
ॐ जय भैरव देवा...॥
वाहन श्वान विराजतकर त्रिशूल धारी, महिमा अमित तुम्हारीजय जय भयहारी॥
ॐ जय भैरव देवा...॥
तुम बिन शिव सेवासफल नहीं होवे, चतुर्वतिका दीपकदर्शन दुःख खोवे॥
ॐ जय भैरव देवा...॥
तेल चटकि दधि मिश्रितभाषावलि तेरी, कृपा कीजिये भैरवकरिये नहिं देरी॥
ॐ जय भैरव देवा...॥
पाँवों घूंघरू बाजतडमरू डमकावत, बटुकनाथ बन बालकजन मन हरषावत॥
ॐ जय भैरव देवा...॥
बटुकनाथ की आरतीजो कोई जन गावे, कहे धरणीधर वह नरमन वांछित फल पावे॥
ॐ जय भैरव देवा...॥
भगवान भैरव जी से जुड़ी प्रमुख जानकारियाँ
- भगवान शिव का उग्र रूप
भगवान भैरव (या काल भैरव) भगवान शिव का अत्यंत शक्तिशाली और भयावह रूप हैं, जो अधर्म का नाश और धर्म की रक्षा करते हैं। - कुत्ता है वाहन – सेवा है पूजन
भैरव जी का वाहन एक काला कुत्ता होता है। कुत्तों को भोजन कराना या सेवा करना भैरव जी की पूजा का एक पवित्र अंग माना जाता है। - शत्रु नाश एवं सुरक्षा प्रदान करने वाले
भक्त भैरव जी से काले जादू, भूत-प्रेत बाधाओं, छुपे हुए शत्रुओं से रक्षा तथा साहस, न्याय और निर्भयता की प्राप्ति हेतु प्रार्थना करते हैं। - कालाष्टमी को विशेष पूजा
काल भैरव अष्टमी (पूर्णिमा के बाद आठवाँ दिन) भैरव जी की पूजा के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। - भिन्न भोग – मदिरा अर्पण की परंपरा
कुछ मंदिरों में भैरव जी को मदिरा अर्पण की परंपरा है, जो अहंकार और सामाजिक बंधनों को तोड़ने का प्रतीक मानी जाती है। - तांत्रिक साधना से जुड़ाव
भैरव जी को तंत्र, अघोर और शैव परंपराओं में विशेष सम्मान प्राप्त है। इनकी पूजा से गंभीर दोष, बाधाएँ और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
भैरव आरती करने के विशेष अवसर
- कालाष्टमी (भैरव अष्टमी)
प्रत्येक पूर्णिमा के बाद आठवें दिन मनाई जाती है।
उत्तम समय:
– प्रातः ब्रह्म मुहूर्त: 4:30 AM – 6:00 AM
– रात्रि साधना: 10:00 PM – 12:00 AM (विशेष रूप से तांत्रिक साधना के लिए)
काले जादू, भय, अदृश्य शत्रु एवं बाधाओं से सुरक्षा हेतु सर्वोत्तम। - शनिवार एवं मंगलवार – भैरव पूजन के विशेष दिन
शक्ति, साहस और नकारात्मकता पर नियंत्रण का प्रतीक।
सर्वोत्तम समय:
– प्रातः: 6:00 AM – 8:00 AM
– सायंकाल: 6:00 PM – 7:30 PM
इस समय सरसों के तेल का दीपक जलाएँ, काले उड़द, नारियल अर्पित करें, और आरती करें। - तांत्रिक साधना या शक्ति उपासना के समय
किसी भी शक्ति या तंत्र पूजन में भैरव जी की पूजा अनिवार्य मानी जाती है।
विशेष समय: अमावस्या या कालाष्टमी की रात्रि में 12:00 AM – 2:00 AM
साधक को आध्यात्मिक बल, जागरण और दोषों से मुक्ति मिलती है। - संकट, भय या कानूनी परेशानी के समय
भैरव जी की आरती शत्रु भय, मानसिक क्लेश या कठिन परिस्थिति में अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।
उत्तम समय: सूर्यास्त के बाद 6:00 PM – 8:00 PM
काले कुत्ते को भोजन कराने के बाद आरती करें। - अमावस्या (पूर्ण अंधकार की रात्रि)
यह रात आध्यात्मिक रूप से अत्यधिक शक्तिशाली मानी जाती है।
रात्रि 8:00 PM के बाद या मध्यरात्रि में आरती करना लाभकारी होता है।
इस समय भैरव पूजन से नजर दोष, राहु-केतु दोष, बाधा और भय दूर होते हैं।
भारत के 5 प्रमुख भैरव जी के प्रसिद्ध मंदिर
- काल भैरव मंदिर – वाराणसी, उत्तर प्रदेश
स्थान: काशी विश्वनाथ मंदिर के पास, वाराणसी
विशेषता: काशी के क्षेत्रपाल माने जाते हैं; कहा जाता है कि उनकी अनुमति के बिना कोई भी काशी में नहीं रह सकता।
अनूठी परंपरा: भक्त पूजा में शराब का अर्पण करते हैं।
उत्सव: भैरव अष्टमी पर विशेष भक्ति और अनुष्ठान आयोजित होते हैं। - भैरव नाथ मंदिर – उज्जैन, मध्य प्रदेश
स्थान: महाकालेश्वर मंदिर के पास
विशेषता: अत्यंत शक्तिशाली मंदिरों में से एक; यहाँ काल भैरव को शराब चढ़ाने की परंपरा है।
महत्त्व: तांत्रिक साधना का प्रमुख केंद्र माना जाता है। - भैरव बाबा मंदिर – दिल्ली रिज (पुराना किला)
स्थान: पुराना किला के पास, पुरानी दिल्ली
विशेषता: महाभारत काल से संबंधित; कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने किया था।
प्रसिद्धि: मान्यता है कि दिल्ली दर्शन तब तक पूर्ण नहीं होता जब तक भैरव बाबा के दर्शन न कर लिए जाएं। - भैरव मंदिर – मणिकर्णिका घाट, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
स्थान: मणिकर्णिका घाट, काशी
विशेषता: बटुक भैरव के रूप में पूजित; यह रूप मृत्यु के समय आत्मा की रक्षा और मुक्ति प्रदान करता है।
संबंधित है: मृत्यु संस्कार, आत्मिक सुरक्षा, और मोक्ष से। - भैरव मंदिर – जम्मू (वैष्णो देवी भैरव मंदिर)
स्थान: त्रिकुटा पहाड़ियों में, वैष्णो देवी मंदिर के पास
विशेषता: मान्यता है कि वैष्णो देवी के दर्शन तब तक अधूरे माने जाते हैं जब तक भैरव नाथ मंदिर के दर्शन न किए जाएं।
दृश्य: पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर सुंदर घाटी का मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है।