धन्वंतरि आरती का परिचय
- भगवान धन्वंतरि की आराधना, जो आयुर्वेद के देवता और विष्णु के अवतार माने जाते हैं।
- यह आरती स्वास्थ्य, आरोग्यता और आध्यात्मिक व शारीरिक रोगों से रक्षा का प्रतीक है।
- धनतेरस, आयुर्वेदिक पूजा, उपचार यज्ञ और स्वास्थ्य से जुड़े समारोहों में गायी जाती है।
- माना जाता है कि इस आरती के पाठ से दीर्घायु, ऊर्जा और आयुर्वेदिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- यह ईश्वर से दिव्य उपचार शक्ति और संतुलन की प्रार्थना है।
जय धन्वन्तरि देवा
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित जन-जन सुख देवा॥
जय धन्वन्तरि देवा...॥
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए॥
जय धन्वन्तरि देवा...॥
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का साधन बतलाया॥
जय धन्वन्तरि देवा...॥
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी॥
जय धन्वन्तरि देवा...॥
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका निश्चय मिट जावे॥
जय धन्वन्तरि देवा...॥
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा॥
जय धन्वन्तरि देवा...॥
धन्वन्तरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे॥
जय धन्वन्तरि देवा...॥
धन्वंतरि आरती – प्रमुख तथ्य
- देवता: यह आरती भगवान धन्वंतरि को समर्पित है, जो आयुर्वेद के देवता और भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं।
- उद्देश्य: इसका गायन शारीरिक और आध्यात्मिक रोगों से रक्षा, स्वास्थ्य और उपचार के लिए किया जाता है।
- अवसर: यह आरती विशेष रूप से धनतेरस, आयुर्वेदिक अनुष्ठानों और उपचार पूजा में गाई जाती है।
- प्रतीकात्मकता: भगवान धन्वंतरि को अमृत कलशधारी और आयुर्वेद के प्रवर्तक के रूप में पूजित किया जाता है।
- आध्यात्मिक लाभ: यह आरती रोगों को दूर करने, शरीर की ऊर्जा को संतुलित करने और दीर्घायु व आरोग्यता प्रदान करने में सहायक मानी जाती है।
धन्वंतरि जी की आरती कब करें
- धनतेरस के दिन, जिसे धन्वंतरि जयंती भी कहते हैं और जो दीपावली से दो दिन पहले मनाई जाती है। यह आरती करने का सबसे शुभ दिन माना जाता है और इससे स्वास्थ्य, समृद्धि और रोगों से रक्षा की प्राप्ति होती है।
- स्वास्थ्य और उपचार से जुड़े अनुष्ठानों में, जैसे आयुर्वेद पूजन, स्वास्थ्य यज्ञ या रोगमुक्ति की कामना करते समय।
- आयुर्वेद का अध्ययन प्रारंभ करने से पहले, उपचार आरंभ करने से पहले या पारंपरिक चिकित्सा से जुड़ी किसी प्रक्रिया में प्रवेश करते समय।
- अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन या साप्ताहिक पूजा में (विशेष रूप से गुरुवार या रविवार को) इस आरती को शामिल किया जा सकता है।
- विष्णु या लक्ष्मी पूजन के अवसरों पर, क्योंकि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अवतार माने जाते हैं और उनका संबंध स्वास्थ्य एवं समृद्धि से भी है।
भारत के प्रमुख 5 धन्वंतरि मंदिर
- श्री धन्वंतरि मंदिर – तिरुवनंतपुरम, केरल
स्थान: गवर्नमेंट आयुर्वेद कॉलेज परिसर, तिरुवनंतपुरम
महत्व: भारत के सबसे पुराने धन्वंतरि मंदिरों में से एक; आयुर्वेद विद्यार्थियों और चिकित्सकों द्वारा पूजित।विशेषता: प्रतिदिन पूजा और धनतेरस पर स्वास्थ्य लाभ हेतु विशेष आयोजन। - धन्वंतरि मंदिर – नेल्लुवाया, त्रिशूर, केरल
स्थान: त्रिशूर के निकट नेल्लुवाया
महत्व: अत्यंत प्राचीन मंदिर जहाँ भगवान धन्वंतरि की केवल एकमात्र पूजा होती है।
आकर्षण: यहाँ आयुर्वेद शिविर और विशेष पूजन कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। - धन्वंतरि मंदिर – ऋषिकेश, उत्तराखंड
स्थान: पंतजलि योगपीठ जैसे आयुर्वेद संस्थानों और आश्रमों में स्थित
महत्व: आयुर्वेद चिकित्सकों, विद्यार्थियों और साधकों द्वारा गहराई से पूजित स्थल। - धन्वंतरि मंदिर – श्रीरंगम, तमिलनाडु
स्थान: श्री रंगनाथस्वामी मंदिर परिसर, श्रीरंगम
महत्व: विशाल विष्णु मंदिर के अंदर एक विशेष धन्वंतरि मंदिर, जहाँ गंभीर रोगों से मुक्ति हेतु भक्त पूजा करते हैं।
विशेषता: शक्तिशाली आरोग्य मंत्रों और आयुर्वेदिक आस्था का प्रमुख केंद्र। - धन्वंतरि मंदिर – झंडेवालान, दिल्ली
स्थान: झंडेवालान, नई दिल्ली महत्व: उत्तर भारत का प्रसिद्ध मंदिर, जहाँ धनतेरस व स्वास्थ्य संबंधी अनुष्ठानों में भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा होती है।