गंगा आरती – एक दिव्य संध्या अनुष्ठान
- पवित्र नदी तट पर आरती
गंगा आरती एक दिव्य हिंदू अनुष्ठान है, जो हर संध्या हरिद्वार, ऋषिकेश और वाराणसी के गंगा घाटों पर सम्पन्न होता है। - प्रकाश और भक्ति की अर्पणा
श्रद्धालु दीपक, फूल, और मंत्रों के साथ माँ गंगा की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। - आध्यात्मिक वातावरण
आरती के समय भजन, घंटियों की गूंज और शंखनाद वातावरण को आध्यात्मिक और ऊर्जावान बना देते हैं। - शुद्धि का प्रतीक
गंगा आरती माँ गंगा को पापों की शुद्धि करने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजने का प्रतीक है। - महत्वपूर्ण तीर्थ और पर्यटन आकर्षण
दशाश्वमेध घाट (वाराणसी), हर की पौड़ी (हरिद्वार), और त्रिवेणी घाट (ऋषिकेश) की गंगा आरती एक अद्भुत और आत्मा को छू लेने वाला अनुभव है।
गंगा माता की आरती
ॐ जय गंगे माता,
मैया जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता॥
ॐ जय गंगे माता॥
चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी,
जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी,
सो नर तर जाता॥
ॐ जय गंगे माता॥
पुत्र सगर के तारे,
सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि हो तुम्हारी,
त्रिभुवन सुख दाता॥
ॐ जय गंगे माता॥
एक बार जो प्राणी,
शरण तेरी आता।
यम की त्रास मिटाकर,
परमगति पाता॥
ॐ जय गंगे माता॥
आरती मातु तुम्हारी,
जो नर नित गाता।
सेवक वही सहज में,
मुक्ति को पाता॥
ॐ जय गंगे माता॥
मुख्य तथ्य
- गंगा का दिव्य उद्गम और धरती पर आगमन
गंगा माता का जन्म स्वर्गलोक में हुआ था और वे भगवान शिव की जटाओं से होकर पृथ्वी पर उतरीं। यह अवतरण राजा भगीरथ की तपस्या के फलस्वरूप हुआ था, ताकि वे अपने पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष दिला सकें। - गंगा का उद्गम स्थल
गंगा नदी का मूल स्रोत उत्तराखंड में स्थित गौमुख है, जहाँ गंगोत्री ग्लेशियर से भागीरथी नदी निकलती है। यह स्थल “गंगा जी का जन्म स्थान” माना जाता है और एक अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल है। - पितरों के लिए गंगा का महत्व
गंगा को पितरों के उद्धार का माध्यम माना गया है। आज भी लोग अपने पितरों की पिंडदान, तर्पण, और अस्थि विसर्जन गंगा नदी में करते हैं ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके। - गंगा आरती और पूजा विधि
हरिद्वार, वाराणसी, और ऋषिकेश में प्रतिदिन भव्य गंगा आरती होती है। इसमें दीप, फूल, और मंत्रों के माध्यम से भक्त गंगा माता की स्तुति करते हैं और उनके प्रति श्रद्धा अर्पित करते हैं। - गंगा दशहरा उत्सव
गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास की शुक्ल दशमी को मनाया जाता है। इसी दिन गंगा माता का पृथ्वी पर आगमन हुआ था। इस दिन गंगा स्नान से दस प्रकार के पापों का नाश होता है। - आध्यात्मिक और पारिस्थितिक महत्व
गंगा माता को पापों को धोने वाली और जीवन प्रदान करने वाली नदी माना जाता है। वे कृषि, जीविका और धार्मिक अनुष्ठानों की आधार हैं। भले ही भौतिक रूप में प्रदूषण हो, परंतु आध्यात्मिक रूप से वे सदा निर्मल और पावन मानी जाती हैं।
गंगा माता जी की आरती कब करें
- प्रतिदिन संध्या समय: सूर्यास्त के समय गंगा घाट, नदी किनारे या मंदिर में संध्या आरती के रूप में गाएं, यह शुद्धि और आत्मिक शांति प्रदान करती है।
- गंगा दशहरा पर: मई-जून में आने वाला यह पर्व गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का प्रतीक है। इस दिन की गई आरती पापों का नाश करती है।
- गंगा स्नान के समय: हरिद्वार, प्रयागराज, वाराणसी, ऋषिकेश जैसे तीर्थों में स्नान से पहले या बाद में आरती करना विशेष पुण्यदायी होता है।
- सोमवार और पूर्णिमा को: सोमवार शिवजी का दिन है और पूर्णिमा अत्यंत शुभ मानी जाती है। इन दिनों गंगा माता की आरती करने से विशेष फल मिलता है।
- पारिवारिक संस्कारों में: मुंडन, श्राद्ध, पिंडदान, अस्थि विसर्जन जैसे अवसरों पर आरती करने से पूर्वजों को शांति और परिवार को कल्याण मिलता है।
- विशेष पर्वों और यात्राओं में: कुंभ मेला, छठ पूजा और गंगा सप्तमी जैसे पर्वों पर आरती करना अत्यंत फलदायक माना गया है।
भारत में गंगा माता के 5 प्रसिद्ध मंदिर
- गंगोत्री मंदिर – उत्तरकाशी, उत्तराखंड
माँ गंगा को समर्पित सबसे प्रमुख मंदिर, गंगा के उद्गम स्थल के पास
चारधाम यात्रा का हिस्सा; आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापना
यात्रा का उत्तम समय: मई से अक्टूबर (सर्दियों में बंद) - गंगा घाट व काशी विश्वनाथ कॉरिडोर – वाराणसी, उत्तर प्रदेश
पारंपरिक मंदिर नहीं, पर गंगा की पूजा अत्यधिक श्रद्धा से होती है
दशाश्वमेध घाट पर होती है भव्य गंगा आरती
विशेष अवसर: देव दीपावली, कार्तिक पूर्णिमा - हर की पौड़ी – हरिद्वार, उत्तराखंड
ब्रह्मकुंड पर स्थित, गंगा पूजन का पावन स्थल
संध्या आरती और स्नान हेतु प्रसिद्ध स्थान
गंगा दशहरा और अन्य पर्वों में विशेष मान्यता - त्रिवेणी संगम – प्रयागराज (इलाहाबाद), उत्तर प्रदेश
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम स्थल
पिंडदान व तर्पण का प्रमुख स्थान
कुंभ और अर्धकुंभ मेले का आयोजन होता है - माँ गंगा मंदिर – सुल्तानगंज, बिहार
उत्तरवाहिनी गंगा के किनारे स्थित अनोखा मंदिर
यहाँ से जल लेकर कांवरिए सावन में बैद्यनाथ जाते हैं
अत्यंत श्रद्धास्पद व पवित्र स्थल माना जाता है