परिचय
- शक्ति का परम रूप
महाकाली माता दुर्गा का सबसे उग्र और शक्तिशाली रूप हैं, जो काल, परिवर्तन और अधर्म के विनाश की प्रतीक हैं। - सुरक्षा और शक्ति की आरती
महाकाली की आरती शत्रुनाश, निर्भयता और दुष्ट शक्तियों से रक्षा के लिए गाई जाती है। यह आत्मबल और आंतरिक ऊर्जा को जाग्रत करती है। - मध्यरात्रि और अमावस्या को विशेष प्रभावी
महाकाली की आरती को अमावस्या, मध्यरात्रि, और काली पूजा के समय गाना अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। इससे तांत्रिक ऊर्जा जाग्रत होती है। - शक्ति मंदिरों में लोकप्रिय
यह आरती भारत भर के काली मंदिरों में विशेष रूप से गाई जाती है — खासकर पश्चिम बंगाल, असम, और दक्षिण भारत में। - भक्ति भय से ऊपर
हालाँकि उनका रूप उग्र है, आरती के माध्यम से भक्त माँ के प्रति पूर्ण समर्पण, श्रद्धा, और आध्यात्मिक जुड़ाव प्रकट करते हैं, जो डर को भक्ति में बदल देता है।
महाकाली माता जी की आरती
मंगल' की सेवा, सुन मेरी देवाहाथ जोड़, तेरे द्वार खड़े। पान सुपारी, ध्वजा, नारियल,ले ज्वाला तेरी भेंट धरे॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।
सुन जगदम्बे, कर न विलम्बेसंतन के भण्डार भरे। संतन-प्रतिपाली, सदा खुशहाली,मैया जै काली कल्याण करे॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।
बुद्धि विधाता, तू जग माता,मेरा कारज सिद्ध करे। चरण कमल का लिया आसरा,शरण तुम्हारी आन परे॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।
जब-जब भीर पड़ी भक्तन पर,तब-तब आय सहाय करे।बार-बार तैं सब जग मोहयो,तरुणी रूप अनूप धरे॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।
माता होकर पुत्र खिलावेकहीं भार्या भोग करे।, सन्तन सुखदाई सदा सहाई,सन्त खड़े जयकार करे॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।
ब्रह्मा विष्णु महेश सहसफण लिए,भेंट देन तेरे द्वार खड़े। अटल सिहांसन बैठी मेरी माता,सिर सोने का छत्र फिरे॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।
वार शनिश्चर कुंकुम बरणो,जब लुँकड़ पर हुकुम करे। खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिए,रक्त बीज को भस्म करे॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।
शुंभ निशुंभ को क्षण में मारे,महिषासुर को पकड़ दले। आदित' वारी आदि भवानी,जन अपने का कष्ट हरे॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।
कुपित होय दानव मारे,चण्ड मुण्ड सब चूर करे। जब तुम देखी दया रूप हो,पल में संकट दूर करे॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।
सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता,जन की अर्ज कबूल करे। सात बार की महिमा बरनी,सब गुण कौन बखान करे॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।
सिंह पीठ पर चढ़ी भवानी,अटल भवन में राज करे। दर्शन पावें मंगल गावें,सिद्ध साधक तेरी भेंट धरे॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।
ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे,शिव शंकर ध्यान धरे। इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती,चँवर कुबेर डुलाय रहे॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।
जय जननी जय मातु भवानी,अटल भवन में राज करे। संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,मैया जय काली कल्याण करे॥
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा।
महाकाली – देवी दुर्गा का उग्र स्वरूप
- देवी दुर्गा का उग्र स्वरूप
महाकाली दस महाविद्याओं में से एक हैं, जो अहंकार, अज्ञान और बुराई के संहार की प्रतीक हैं। वे काल (समय) और मृत्यु की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। - परम शक्ति का प्रतीक
महाकाली सम्पूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। वे सृजन, पालन और संहार तीनों शक्तियों की अधिपति हैं। - स्वरूप (प्रतिमा-वर्णन)
महाकाली को गहरे काले रंग की, चार, आठ या दस भुजाओं वाली देवी के रूप में दर्शाया जाता है। उनके हाथों में अस्त्र-शस्त्र, कटा हुआ सिर और रक्त से भरा कटोरा होता है। वे भगवान शिव पर खड़ी रहती हैं, जो शिव-शक्ति के संतुलन का प्रतीक है। - काल और मृत्यु से सम्बंधित
"काली" शब्द "काल" से आया है, जिसका अर्थ है समय। वे समय, मृत्यु, भाग्य और कर्म की नियंत्रक मानी जाती हैं। - विशेष पूजा अवसर
महाकाली की पूजा विशेष रूप से अमावस्या, काली पूजा और नवरात्रि में की जाती है, खासकर पश्चिम बंगाल, असम, नेपाल और दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में।
श्री महाकाली माता जी की आरती कब करें
- अमावस्या की रात को
महाकाली देवी अमावस्या से गहरे रूप से जुड़ी हुई हैं। इस रात को आरती करने से अंधकार, नकारात्मकता और भय का नाश होता है। - नवरात्रि के अष्टमी एवं नवमी को
नवरात्रि की अष्टमी और नवमी महाकाली जैसी उग्र शक्तियों की पूजा के लिए श्रेष्ठ मानी जाती हैं। इन रातों में आरती करने से विशेष शक्ति और रक्षा प्राप्त होती है। - काली पूजा एवं दीपावली की रात को
बंगाल, असम, ओडिशा आदि राज्यों में दीपावली की रात को काली पूजा का विशेष महत्व होता है। इस रात महाकाली की आरती करना शुभता, धन और सुरक्षा लाता है। - भय, तंत्र-मंत्र या नकारात्मकता के समय
जब जीवन में भय, काले जादू, या अदृश्य बाधाएं हों, तब महाकाली की आरती एक शक्तिशाली रक्षा कवच का कार्य करती है। - मंगलवार एवं शनिवार को
यह दोनों दिन देवी शक्ति की साधना के लिए अत्यंत उपयुक्त होते हैं। इन दिनों आरती करने से मनोबल, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।
भारत में प्रसिद्ध महाकाली माता के 5 प्रमुख मंदिर
- कालिघाट काली मंदिर – कोलकाता, पश्चिम बंगाल
हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक।मान्यता है कि यहाँ देवी सती के पैर की उँगलियाँ गिरी थीं।
महाकाली की उपासना का सबसे पवित्र और प्रसिद्ध मंदिर। - दक्षिणेश्वर काली मंदिर – कोलकाता, पश्चिम बंगाल
रानी रासमणि द्वारा 19वीं शताब्दी में बनवाया गया।महान संत श्री रामकृष्ण परमहंस की उपासना स्थली।
हुगली नदी के किनारे स्थित एक भव्य तीर्थ स्थल। - कामाख्या देवी मंदिर – गुवाहाटी, असम
यद्यपि यह मंदिर कामाख्या देवी को समर्पित है, परंतु उन्हें महाकाली का ही एक शक्तिशाली रूप माना जाता है।तांत्रिक साधना और शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र।यहाँ प्रतिवर्ष अंबुबाची मेला आयोजित होता है। - हर्षिद्धि माता मंदिर – उज्जैन, मध्य प्रदेश
यह मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ और महाकाली की पूजा स्थली है।राजा विक्रमादित्य और तांत्रिक साधनाओं से जुड़ा हुआ। यहाँ के दो विशाल दीप स्तंभ बहुत प्रसिद्ध हैं। - महा काली मंदिर – पावागढ़, गुजरात
चंपानेर के पास पावागढ़ पर्वत पर स्थित, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।मान्यता है कि यहाँ देवी सती की उँगली गिरी थी। गुजरात का एक प्रमुख शक्ति उपासना स्थल।