पितृ आरती का परिचय
- पितृ आरती एक पवित्र स्तुति है जो अपने पूर्वजों (पितरों) को सम्मान और कृतज्ञता अर्पित करने के लिए की जाती है।
- यह आरती श्राद्ध कर्म, पितृ पक्ष और अमावस्या जैसे अवसरों पर की जाती है, जिससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- इसका उद्देश्य departed आत्माओं को शांति (मोक्ष) और पिंडदान के माध्यम से तृप्ति प्रदान करना होता है।
- पितृ आरती करने से कुल की आध्यात्मिक शक्ति मजबूत होती है और पितरों से मार्गदर्शन व संरक्षण प्राप्त होता है।
- यह पितृ ऋण को चुकाने का एक माध्यम है, जो हिन्दू धर्म में तीन प्रमुख ऋणों में से एक माना गया है।
पितृ आरती
जय जय पितरजी महाराज, मैं शरण पड़यो हूँ थारी।
शरण पड़यो हूँ थारी बाबा, शरण पड़यो हूँ थारी॥
आप ही रक्षक आप ही दाता, आप ही खेवनहारे।
मैं मूरख हूँ कछु नहि जाणू, आप ही हो रखवारे॥
जय जय पितरजी महाराज॥
आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी।
हम सब जन हैं शरण आपकी, है ये अरज गुजारी॥
जय जय पितरजी महाराज॥
देश और परदेश सब जगह, आप ही करो सहाई।
काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई॥
जय जय पितरजी महाराज॥
भक्त सभी हैं शरण आपकी, अपने सहित परिवार।
रक्षा करो आप ही सबकी, रटूँ मैं बारम्बार॥
जय जय पितरजी महाराज॥
पितृ आरती से जुड़े मुख्य तथ्य
- पितृ आरती का गायन अपने पूर्वजों (पितरों) को सम्मान और तृप्ति देने के लिए किया जाता है।
- यह आरती पितृ पक्ष, अमावस्या और श्राद्ध कर्म जैसे अवसरों पर की जाती है।
- इसका उद्देश्य पितरों को शांति, मोक्ष और स्मरण अर्पित करना होता है।
- यह आरती पितृ ऋण चुकाने का एक माध्यम है, जो हिन्दू धर्म के तीन मुख्य ऋणों में से एक है।
- यह माना जाता है कि पितृ आरती करने से आशीर्वाद प्राप्त होते हैं, बाधाएं दूर होती हैं और वंशजों का कल्याण होता है।
पितृ आरती कब करें
- पितृ पक्ष के 16 दिनों में रोज़ाना या पूर्वजों की तिथि पर पितृ आरती का पाठ करें (अक्सर सितम्बर–अक्टूबर में आता है)।
- अमावस्या के दिन पितरों की पूजा के लिए विशेष माना जाता है — इस दिन आरती और तर्पण करना शुभ होता है।
- पिंडदान, तर्पण या वार्षिक श्राद्ध कर्म के बाद पितृ आरती का पाठ करें।
- यदि आप घर पर पितरों की पूजा कर रहे हैं, तो आरती अवश्य करें ताकि उनका आशीर्वाद और शांति प्राप्त हो।
- पितृ दोष निवारण के उपायों के समय भी यह आरती की जाती है — पितृ असंतुलन को शांत करने और कष्टों से राहत पाने हेतु।
भारत के प्रसिद्ध पितृ तीर्थ स्थल
- गया – विष्णुपद मंदिर, बिहार
महत्त्व: पिंडदान और पितृ श्राद्ध के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है।
विशेषता: यहां किए गए कर्मों से पितरों को मोक्ष मिलने की मान्यता है।
अवसर: हर वर्ष पितृ पक्ष मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। - त्र्यंबकेश्वर मंदिर – नासिक, महाराष्ट्र
महत्त्व: यह ज्योतिर्लिंग स्थल है, जहां नारायण नागबली और पितृ दोष निवारण पूजा होती है।
विशेषता: गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ दोष शांति के लिए यह प्रमुख स्थान है। - बद्रीनाथ – ब्रह्मा कपाल, उत्तराखंड
महत्त्व: अलकनंदा नदी के किनारे स्थित पवित्र स्थल, जहां पिंडदान किया जाता है।
विशेषता: बद्रीनाथ मंदिर बंद होने के बाद भी यहां पितृ कर्म अत्यंत शुभ माने जाते हैं। - सिद्धपुर – कपिल मुनि आश्रम, गुजरात
महत्त्व: मातृ पक्ष (माँ की ओर से) श्राद्ध कर्म के लिए प्रसिद्ध।
विशेषता: सरस्वती नदी और प्राचीन परंपरा इसे आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली बनाते हैं। - हरिद्वार – गंगा घाट, उत्तराखंड
महत्त्व: गंगा के तट पर तर्पण और पिंडदान करना अत्यंत पवित्र माना जाता है।
विशेषता: अमावस्या और श्राद्ध तिथियों पर यहां पूजा विशेष प्रभावशाली मानी जाती है।