रामायण जी की आरती हिंदी और अंग्रेज़ी में अर्थ सहित | तथ्य | लाभ | अवसर व कब करें पाठ"

श्रेणी:Other Vedic Arti
उपश्रेणी:Ramayan ji Aarti
रामायण जी की आरती हिंदी और अंग्रेज़ी में अर्थ सहित | तथ्य | लाभ | अवसर व कब करें पाठ"
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परिचय

  1. भगवान श्रीराम की दिव्य स्तुति:- रामायण आरती श्रीराम की स्तुति में गाई जाती है, जो धर्म, सद्गुण और मर्यादा के प्रतीक हैं।
  2. रामायण शिक्षाओं पर आधारित: यह आरती श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी के जीवन, मूल्यों और विजय की महिमा का वर्णन करती है।
  3. आध्यात्मिक वातावरण को शुद्ध करती है - राम कथा, भजन या पूजा के समय गाई जाने वाली यह आरती वातावरण को पवित्र और सकारात्मक बनाती है।
  4. शक्तिशाली भक्ति साधना:- रामायण आरती गाने या सुनने से भक्ति बढ़ती है और भगवान श्रीराम से गहरा जुड़ाव होता है।
  5. त्यौहारों और दैनिक पूजा के लिए उत्तम: - राम नवमी, दीपावली और प्रतिदिन संध्या पूजा में इसका पाठ विशेष रूप से फलदायक माना जाता है।


रामायण आरती

आरती श्री रामायण जी की।

कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद।

बालमीक विज्ञान विशारद।

शुक सनकादि शेष अरु शारद।

बरनि पवनसुत कीरति नीकी॥

आरती श्री रामायण जी की।

कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

गावत वेद पुराण अष्टदस।

छओं शास्त्र सब ग्रन्थन को रस।

मुनि-मन धन सन्तन को सरबस।

सार अंश सम्मत सबही की॥

आरती श्री रामायण जी की।

कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

गावत सन्तत शम्भू भवानी।

अरु घट सम्भव मुनि विज्ञानी।

व्यास आदि कविबर्ज बखानी।

कागभुषुण्डि गरुड़ के ही की॥

आरती श्री रामायण जी की।

कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

कलिमल हरनि विषय रस फीकी।

सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की।

दलन रोग भव मूरि अमी की।

तात मात सब विधि तुलसी की॥

आरती श्री रामायण जी की।

कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

रामायण की मुख्य विशेषताएँ

  1. धर्म और मर्यादा का प्रतीक - भगवान श्रीराम हर भूमिका में आदर्श प्रस्तुत करते हैं—पुत्र, पति, भाई और राजा के रूप में—सत्य और कर्तव्य को सर्वोपरि रखते हैं।
  2. आदर्श परिवार और सामाजिक मूल्य - रामायण एक ऐसा परिवार दर्शाती है जहाँ सेवा, त्याग और प्रेम की भावना प्रमुख है—सीता, लक्ष्मण, भरत और हनुमान इसके उदाहरण हैं।
  3. नारी शक्ति और सम्मान का परिचय- सीता, शबरी और तारा जैसी पात्र नारी की शक्ति, गरिमा और पवित्रता का संदेश देती हैं।
  4. भक्ति और आत्मसमर्पण का मार्ग - हनुमान, भरत और विभीषण जैसे पात्र निःस्वार्थ सेवा और ईश्वर में सम्पूर्ण समर्पण को दर्शाते हैं।
  5. साहित्यिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्त्व - रामायण केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला, सनातन मूल्यों का प्रचार और भारतीय संस्कृति का संरक्षक है।

रामायण माता जी की आरती कब करें

  1. रोजाना खासकर शाम की पूजा में आरती करें, ताकि भगवान राम और रामायण माता की कृपा और सुरक्षा मिले।
  2. राम नवमी के दिन आरती गाना विशेष पुण्य और आध्यात्मिक लाभ देता है।
  3. रामायण पाठ या राम कथा के समापन पर आरती करना कृतज्ञता और भक्ति का प्रतीक है।
  4. कार्तिक और चैत्र मास में आरती का पाठ विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
  5. मंगलवार और रविवार, व्रत, पारिवारिक पूजा या हनुमान जी से जुड़ी साधना में आरती करना शुभ होता है।

भारत में भगवान श्रीराम जी के 5 प्रमुख मंदिर

  1. राम जन्मभूमि मंदिर – अयोध्या, उत्तर प्रदेश
    भगवान श्रीराम का जन्मस्थान माना जाता है; भव्य नया मंदिर जनवरी 2024 में खोला गया है; रामभक्ति का केंद्र।
  2. रामस्वामी मंदिर – कुंभकोणम, तमिलनाडु
    प्राचीन मंदिर जिसकी दीवारों और स्तंभों पर रामायण के दृश्य उकेरे गए हैं; भव्य स्थापत्य कला।
  3. कोदंडराम मंदिर – हम्पी, कर्नाटक
    विजयनगर साम्राज्य के समय बना; माना जाता है कि यहीं श्रीराम ने विभीषण का राज्याभिषेक किया था।
  4. राम मंदिर – भद्राचलम, तेलंगाना
    संत रामदास द्वारा बनवाया गया प्रसिद्ध मंदिर; दक्षिण भारत में रामभक्ति का प्रमुख केंद्र।
  5. रघुनाथ मंदिर – जम्मू, जम्मू और कश्मीर
    उत्तर भारत का सबसे बड़ा राम मंदिर समूह; डोगरा राजाओं द्वारा निर्मित।

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