संतोषी माता की आरती – हिंदी में अर्थ सहित | तथ्य | लाभ | अवसर और पाठ का समय

श्रेणी:Goddess Arti
उपश्रेणी:Santoshi Mata ji Aarti
संतोषी माता की आरती – हिंदी में अर्थ सहित | तथ्य | लाभ | अवसर और पाठ का समय
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परिचय

  1.  भक्ति और संतोष का पवित्र भजन
    संतोषी माता की आरती देवी संतोषी को समर्पित एक भक्तिपूर्ण भजन है, जो संतोष, शांति और सुख-समृद्धि की देवी मानी जाती हैं।
  2.  शुक्रवार को विशेष रूप से की जाती है
    शुक्रवार का दिन संतोषी माता की पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत और पूजा के समय आरती विशेष रूप से गाई जाती है।
  3. मनोकामना पूर्ण करने वाली आरती
    श्रद्धा से आरती गाने से मन की इच्छाएँ पूरी होती हैं, जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और शांति व समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
  4. सादगी, शुद्धता और श्रद्धा की प्रतीक
    गुड़ और चने जैसे सरल भोग से पूजन किया जाता है, जो निष्कपट भक्ति और आंतरिक शुद्धता को दर्शाता है।
  5. घरों और मंदिरों में व्यापक रूप से लोकप्रिय
    यह आरती संतोषी माता व्रत कथा का प्रमुख हिस्सा है और देश भर के घरों व मंदिरों में प्रेमपूर्वक गाई जाती है, विशेषकर गृहशांति के लिए।



 संतोषी माता की आरती

जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन को, सुख सम्पत्ति दाता॥

सुन्दर चीर सुनहरी, माँ धारण कीन्हों।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार कीन्हों॥

गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मन्द हंसत करुणामयी, त्रिभुवन मन मोहे॥

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरें प्यारे।
धूप दीप मधुमेवा, भोग धरें न्यारे॥

गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो।
सन्तोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो॥

शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही॥

मन्दिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक, चरणन सिर नाई॥

भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।
जो मन बसै हमारे, इच्छा फल दीजै॥

दुखी दरिद्री, रोग, संकट मुक्त किये।
बहु धन-धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिये॥

ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो॥

शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अम्बे॥

सन्तोषी माता की आरती, जो कोई जन गावे।
ऋद्धि-सिद्धि, सुख-सम्पत्ति, जी भरकर पावे॥



मुख्य तथ्य

  1. संतोष और शांति की देवी
    संतोषी माता को हिंदू धर्म में संतोष, शांति और समृद्धि की देवी माना जाता है। वे अपने भक्तों को मानसिक सुख और पारिवारिक शांति का आशीर्वाद देती हैं।
  2. लोकप्रिय व्रत की देवी
    शुक्रवार को संतोषी माता का व्रत विशेष रूप से महिलाएं रखती हैं, जिससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
  3.  आकर्षक मूर्ति और प्रतीक
    माता को आमतौर पर कमल पर विराजमान, शांत मुख, चार भुजाओं में तलवार, त्रिशूल, चावल की कटोरी और वर मुद्रा के साथ दर्शाया जाता है।
  4.  प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख नहीं
    अन्य देवी-देवताओं की तरह संतोषी माता का उल्लेख वेद या पुराणों में नहीं मिलता। उनकी लोकप्रियता मुख्यतः लोककथाओं और 1975 की फिल्म "जय संतोषी मां" से बढ़ी।
  5.  सरल भोग और निष्कलंक श्रद्धा
    संतोषी माता को गुड़ और चना का भोग अति प्रिय है। उनकी पूजा में खट्टे या तीखे पदार्थ वर्जित होते हैं, जो शुद्ध भक्ति का प्रतीक हैं।

संतोषी माता जी की आरती कब करें

  1.  हर शुक्रवार
    शुक्रवार संतोषी माता का सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ माता की आरती का पाठ अवश्य करना चाहिए।
  2.  व्रत कथा के बाद
    जब भी संतोषी माता की व्रत कथा का श्रवण या पाठ किया जाए, उसके बाद आरती करना आवश्यक होता है। यह आमतौर पर सुबह या दोपहर से पहले किया जाता है।
  3.  घर की पूजा में
    घर में जब भी संतोषी माता की विशेष पूजा की जाए, उस समय गुड़-चना का भोग अर्पित करके आरती गाई जाती है।
  4.  त्योहार या संतोषी माता जयंती पर
    संतोषी माता जयंती या माता से संबंधित किसी भी त्योहार पर, उनकी आरती श्रद्धा व भक्ति से अवश्य करें।
  5.  जब भी शांति या मनोकामना की आवश्यकता हो
    कोई इच्छा पूरी करनी हो, घर में कलह हो, मन बेचैन हो, या संतोष चाहिए, तो माता की आरती करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

भारत के 5 प्रमुख संतोषी माता जी के मंदिर 

  1.  संतोषी माता मंदिर, जोधपुर – राजस्थान
      यह मंदिर सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध संतोषी माता मंदिरों में से एक है। हर शुक्रवार को यहाँ हज़ारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
  2.  संतोषी माता मंदिर, नागपुर – महाराष्ट्र
      यह मंदिर शुक्रवार व्रत और भक्ति-भाव से भरे माहौल के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
  3.  संतोषी माता मंदिर, हरिद्वार – उत्तराखंड
      हर की पौड़ी के पास स्थित यह मंदिर, देशभर के श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
  4.  संतोषी माता मंदिर, गोरखपुर – उत्तर प्रदेश
      यह एक प्रसिद्ध आस्था केंद्र है, जो नवरात्रि और शुक्रवार के दिन विशेष रूप से भीड़ से भरा रहता है।
  5.  संतोषी माता मंदिर, पटना – बिहार
      यह मंदिर उन भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है, जो शांति, संतोष और पारिवारिक सुख की कामना लेकर आते हैं।

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