सरस्वती माता – ज्ञान और विद्या की देवी
- ज्ञान व कला की देवी
सरस्वती माता को ज्ञान, संगीत, कला, वाणी और विद्या की दिव्य स्रोत के रूप में पूजा जाता है। - आरती में झलकती है उनकी दिव्य कृपा
सरस्वती माता की आरती उनकी पवित्रता, ज्ञान, और शांति का गुणगान करती है और बुद्धिमत्ता व सृजनात्मकता की प्राप्ति का आह्वान करती है। - विद्यार्थी, शिक्षक और कलाकार करते हैं आराधना
इस आरती का पाठ विद्यार्थी, अध्यापक, विद्वान और संगीतकार करते हैं जो मानसिक स्पष्टता और सफलता की कामना करते हैं। - वसंत पंचमी और गुरुवार को विशेष पूजन
वसंत पंचमी और प्रत्येक गुरुवार को यह आरती विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि ये दिन माता सरस्वती को समर्पित माने जाते हैं। - सरल भक्ति, गहरा प्रभाव
श्रद्धा से की गई सरस्वती माता की आरती व्यक्ति के जीवन में प्रकाश, एकाग्रता, और बौद्धिक सफलता लाती है।
।। जय सरस्वती माता की आरती ।।
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती माता॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
जय सरस्वती माता॥
बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला॥
जय सरस्वती माता॥
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
जय सरस्वती माता॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो॥
जय सरस्वती माता॥
धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥
जय सरस्वती माता॥
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी सुखकारी, ज्ञान भक्ति पावे॥
जय सरस्वती माता॥
मुख्य तथ्य
- ज्ञान और कला की देवी
सरस्वती माता हिंदू धर्म में ज्ञान, शिक्षा, संगीत, वाणी और रचनात्मकता की देवी मानी जाती हैं। वे बुद्धि और सृजनात्मक शक्ति प्रदान करती हैं। - भगवान ब्रह्मा की अर्धांगिनी
माता सरस्वती को ब्रह्मा जी की पत्नी तथा सृजन की शक्ति माना गया है। - प्रतिमा एवं स्वरूप
वे सफेद वस्त्रों में, श्वेत कमल या हंस पर आसीन होती हैं। उनके हाथों में वीणा, वेद की पुस्तक, जपमाला और कमंडल होता है, जो ज्ञान, संगीत और साधना का प्रतीक हैं। - वसंत पंचमी उत्सव
वसंत पंचमी सरस्वती माता का मुख्य पर्व है। इस दिन विद्यार्थी अपनी किताबें, पेन और वाद्ययंत्र माता के चरणों में रखकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। - पवित्रता और बुद्धि की प्रतीक
सरस्वती माता शुद्धता, विवेक, सत्य और बौद्धिक विकास की प्रतीक हैं। विद्यार्थी, शिक्षक, कलाकार और विद्वान उनकी विशेष पूजा करते हैं।
माँ सरस्वती जी की आरती कब करें
- वसंत पंचमी के दिन
वसंत पंचमी को माता सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है, यह आरती करने का सबसे शुभ दिन होता है। यह ज्ञान और विद्या का पर्व है। - रोज़ाना विद्यार्थी और विद्वानों द्वारा
विद्यार्थी, शिक्षक, कलाकार और लेखक रोज़ सुबह पढ़ाई या रचनात्मक कार्य से पहले आरती करें तो बुद्धि और एकाग्रता में वृद्धि होती है। - किसी नये शिक्षण या प्रोजेक्ट की शुरुआत पर
परीक्षा, नई कक्षा, संगीत या कला अभ्यास, लेखन या किसी भी शैक्षणिक प्रयास की शुरुआत से पहले आरती करना शुभ माना जाता है। - गुरुवार के दिन
गुरुवार ज्ञान और गुरु-तत्व को समर्पित दिन है। इस दिन सरस्वती माता की पूजा और आरती विशेष फलदायी मानी जाती है। - विद्यारंभ संस्कार के समय
जब बच्चों की औपचारिक शिक्षा आरंभ होती है, उस विशेष अवसर पर सरस्वती माता की आरती ज़रूर की जाती है।
भारत में 5 प्रसिद्ध सरस्वती माता के मंदिर
- सरस्वती मंदिर, बसर – तेलंगाना
गोदावरी नदी के किनारे स्थित
– भारत के सबसे प्रसिद्ध सरस्वती मंदिरों में से एक।
– यहाँ बच्चों के अक्षरारंभ (अक्षराभ्यास) की परंपरा होती है। - सरस्वती मंदिर, पुष्कर – राजस्थान
पुष्कर झील के पास
– एक प्राचीन और दुर्लभ मंदिर, जो ब्रह्मा जी के यज्ञ से जुड़ा माना जाता है।
– विशेष रूप से पुष्कर मेले के दौरान यहाँ भक्तों की भीड़ लगती है। - ज्ञान सरस्वती मंदिर, कोटिलिंगाला – आंध्र प्रदेश
करीमनगर के पास
– ज्ञान दायिनी सरस्वती माता के रूप में पूजनीय।
– यहाँ विशेष रूप से शिक्षा, विद्या और सफलता के लिए पूजा की जाती है। - कूथनूर महा सरस्वती मंदिर – तमिलनाडु
कूथनूर, तिरुवारुर ज़िला
– तमिलनाडु का एकमात्र प्रमुख मंदिर जो विशेष रूप से माता सरस्वती को समर्पित है।
– विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच अत्यंत लोकप्रिय। - शृंगेरी शारदाम्बा मंदिर – कर्नाटक
आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित
– दक्षिण भारत का एक प्रमुख तीर्थ, जहाँ विद्या की देवी शारदाम्बा की पूजा होती है।
– यहाँ वैदिक शिक्षा और गुरुकुल परंपरा का विशेष महत्व है।