परिचय
- भगवान शिव हिंदू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं — जिन्हें अधर्म का विनाशक, सत्य, ध्यान, और परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है।
- उन्हें अनेक रूपों में पूजा जाता है, विशेष रूप से शिवलिंग के रूप में। वे महादेव, भोलानाथ, और शंकर जैसे नामों से भी प्रसिद्ध हैं।
- शिव आरती एक भक्तिपूर्ण स्तुति है, जो भगवान शिव की दिव्य शक्ति, करुणा, और सर्वव्यापकता का गुणगान करती है।
- यह आरती विशेष रूप से सोमवार, महाशिवरात्रि, श्रावण मास, तथा शिव पूजा के बाद गाई जाती है।
- शिव आरती के गायन से मन की शांति, नकारात्मकता से सुरक्षा, और आंतरिक आध्यात्मिक बल की प्राप्ति होती है।
शिव आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज ते सोहे।
त्रिगुण रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
अक्ष माला वनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहे भाल बृंदावन प्यारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धरे।
जगकारण जगपालक जगसंहारक प्यारे॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका॥
ॐ जय शिव ओंकारा...
भगवान शिव जी के मुख्य तथ्य
- त्रिदेवों में से एक – संहारक और परिवर्तक
भगवान शिव त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में से एक हैं। उन्हें अधर्म, अहंकार और अज्ञान का संहार कर नव सृजन और परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करने वाला माना जाता है। - कैलाश पर्वत पर निवास – आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक
भगवान शिव कैलाश पर्वत पर विराजमान हैं, जो वैराग्य, शांति, और योगबल का प्रतीक है। वे एक परम त्यागी और आध्यात्मिक ऊर्जा के स्रोत हैं। - गले में सर्प, शरीर पर भस्म और तीसरा नेत्र
उनके गले में नाग, शरीर पर भस्म, और मस्तक पर तीसरा नेत्र है। यह नेत्र दिव्य अग्नि का प्रतीक है जो नकारात्मकता और पापों का नाश करता है। - गंगा धारक और नीलकंठ
वे अपनी जटाओं में पवित्र गंगा को धारण करते हैं और नीलकंठ कहलाते हैं क्योंकि उन्होंने समुद्र मंथन के समय विषपान कर सृष्टि की रक्षा की थी। - शिवलिंग के रूप में पूजनीय – अनंत ऊर्जा का प्रतीक
भगवान शिव को शिवलिंग रूप में पूजा जाता है, जो निर्गुण निराकार परमात्मा और शिव-शक्ति के संयोग का प्रतीक है। यह अनंत ऊर्जा और सृष्टि की मूल चेतना को दर्शाता है।
शिव जी की आरती कब करें
- प्रातः (4:30 AM – 6:30 AM) और संध्या (6:00 PM – 8:00 PM)
शिव जी की आरती ब्रह्म मुहूर्त में प्रातःकाल और संध्या समय सूर्यास्त के दौरान करनी चाहिए। ये समय आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं। - सोमवार (सावन सोमवार)
सोमवार भगवान शिव को समर्पित विशेष दिन होता है। इस दिन बिल्व पत्र, जल, दूध अर्पित करने और "ॐ नमः शिवाय" जप के पश्चात आरती करना शुभ फलदायक होता है। - श्रावण मास (जुलाई–अगस्त)
श्रावण मास शिव भक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ समय होता है। इस पूरे महीने में, विशेषकर सोमवार और प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक के पश्चात आरती करना अत्यंत पुण्यदायक होता है। - महा शिवरात्रि की रात्रि (रात्रि 12:00 AM – 4:00 AM)
महाशिवरात्रि शिव भक्तों के लिए सबसे पवित्र रात्रि होती है। इस रात्रि जागरन के दौरान कई बार आरती की जाती है, साथ ही अभिषेक, मंत्र जाप, और व्रत भी किए जाते हैं। - शिव मंत्र जाप या रुद्राभिषेक के बाद
चाहे आप "ॐ नमः शिवाय", महा मृत्युंजय मंत्र का जाप कर रहे हों या रुद्राभिषेक कर रहे हों — पूजा के अंत में आरती करना अनिवार्य होता है, जिससे पूजा पूर्ण मानी जाती है और शिव कृपा प्राप्त होती है।
उत्तर भारत के 5 प्रसिद्ध शिव मंदिर
- काशी विश्वनाथ मंदिर – वाराणसी, उत्तर प्रदेश
स्थान: वाराणसी (काशी)
विशेषता: यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और माना जाता है कि यहाँ मोक्ष (मुक्ति) की प्राप्ति होती है।
महत्त्व: यह मंदिर पवित्र गंगा नदी के किनारे स्थित है और यहाँ की गंगा आरती विश्वविख्यात है। - केदारनाथ मंदिर – रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड
स्थान: हिमालय, उत्तराखंड
विशेषता: यह मंदिर चारधाम और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है; वर्ष में केवल 6 महीनों के लिए खुला रहता है।
विशेष आकर्षण: बर्फ से ढके पर्वतों के मध्य स्थित यह मंदिर अद्भुत दिव्यता और भव्यता का प्रतीक है। - बैजनाथ मंदिर – हिमाचल प्रदेश
स्थान: बैजनाथ नगर, कांगड़ा जिला
विशेषता: यह मंदिर वैद्यनाथ (चिकित्सा के देवता) को समर्पित है और 13वीं शताब्दी में निर्मित एक प्राचीन मंदिर है।
प्रसिद्धि: यह मंदिर अपनी हीलिंग ऊर्जा और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। - नीलकंठ महादेव मंदिर – ऋषिकेश, उत्तराखंड
स्थान: ऋषिकेश के निकट
विशेषता: मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने यहीं हलाहल विष पान किया था।
दृश्य: यह मंदिर पर्वतों और नदियों के बीच स्थित है और अत्यंत आध्यात्मिक ऊर्जा से युक्त स्थान माना जाता है। - अमरनाथ गुफा मंदिर – जम्मू एवं कश्मीर
स्थान: हिमालय, अनंतनाग जिला
विशेषता: यहाँ हर वर्ष प्राकृतिक रूप से बर्फ से बना शिवलिंग प्रकट होता है, जो अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल है।पहुँच: यहाँ तक पहुँचने के लिए उच्च पर्वतीय अमरनाथ यात्रा करनी पड़ती है, जो भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक तप है।