परिचय
- भगवान श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं, जो अपनी बुद्धि, आकर्षण और दिव्य लीलाओं के लिए प्रसिद्ध हैं।
- वे भगवद गीता के प्रमुख उपदेशक हैं, जिन्होंने मानवता को कर्म, भक्ति, और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
- कृष्ण आरती एक भक्तिपूर्ण स्तुति है, जो भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण प्रकट करने हेतु गाई जाती है।
- यह आरती विशेष रूप से जन्माष्टमी, राधा अष्टमी, और प्रतिदिन प्रातः एवं सायंकालीन पूजा के दौरान की जाती है।
- कृष्ण आरती के नियमित पाठ से आनंद, शांति, मानसिक स्पष्टता प्राप्त होती है और आध्यात्मिक संबंध प्रगाढ़ होता है।
आरती कुंज बिहारी की
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला॥
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली; भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,
चन्द्र सी झलक; ललित छवि श्यामा प्यारी की॥
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ x2
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दर्शन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै; बजे मुरचंग, मधुर मृदंग,
ग्वालिन संग; अतुल रति गोप कुमारी की॥
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरण ते होत मोह भंगा; बसी सिव सीस, जटा के बीच,
हरै अघ कीच; चरण छवि श्री बनवारी की॥
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू; हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,
कटत भव फंद; टेर सुन दीन भिखारी की॥
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ x2
श्रीकृष्ण जी के प्रमुख तथ्य
- विष्णु के आठवें अवतार
भगवान श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं, जो धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश हेतु इस धरती पर अवतरित हुए। - मथुरा में जन्म, गोकुल में पालन
उनका जन्म देवकी और वासुदेव के घर कारागार में हुआ था, लेकिन उनका पालन-पोषण यशोदा और नंद बाबा ने गोकुल में किया। - मोहक बांसुरी वादक
श्रीकृष्ण की बांसुरी की मधुर ध्वनि गोपियों को मोहित कर देती थी, जो दिव्य प्रेम, आनंद, और आत्मा की ईश्वर के प्रति तृष्णा का प्रतीक है। - भगवद गीता के उपदेशक
महाभारत युद्ध के समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का सनातन ज्ञान प्रदान किया, जो आज भी मानवता को जीवन जीने की राह दिखाता है। - राधा के शाश्वत प्रियतम
श्रीमती राधा जी भक्ति की उच्चतम अभिव्यक्ति का प्रतीक हैं, और श्रीकृष्ण के साथ उनका प्रेम भक्ति परंपरा का मूल आधार है।
श्रीकृष्ण जी की आरती कब करें
- प्रतिदिन सुबह और शाम की पूजा में – सूर्योदय और सूर्यास्त के समय घर या मंदिर में नियमित पूजा के दौरान श्रीकृष्ण जी की आरती का पाठ करें।
- कृष्ण मंत्र या भजन के बाद – कृष्ण चालीसा, मंत्रों या भजन गायन के पश्चात आरती करना भक्तिपूर्ण वातावरण को पूर्णता प्रदान करता है।
- जन्माष्टमी पर – यह सबसे प्रमुख अवसर होता है, जब श्रीकृष्ण जी की आरती रात्रि 12 बजे उनके दिव्य जन्म के समय की जाती है।
- एकादशी और राधा अष्टमी पर – ये दिन अत्यंत आध्यात्मिक और पावन होते हैं, आरती और कृष्ण भक्ति के लिए आदर्श माने जाते हैं।
- विशेष आयोजनों और पूजा में – श्रीकृष्ण से संबंधित पूजा, सत्संग, मंदिर उत्सवों आदि में आरती का आयोजन आशीर्वाद और आनंद की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
भारत के 5 प्रसिद्ध श्रीकृष्ण मंदिर
- श्रीकृष्ण जन्मभूमि – मथुरा, उत्तर प्रदेश
स्थान: मथुरा
महत्त्व: यह भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थल है, जहाँ कंस के कारागार में उनका जन्म हुआ था।
विशेषता: यहाँ जन्माष्टमी का पर्व भव्य रूप से मनाया जाता है और यह स्थान आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पावन माना जाता है। - बांके बिहारी मंदिर – वृंदावन, उत्तर प्रदेश
स्थान: वृंदावन (मथुरा के निकट)
विशेषता: यहाँ श्रीकृष्ण को उनके सबसे आकर्षक रूप, बांके बिहारी (त्रिभंग मुद्रा में) के रूप में पूजा जाता है।
दर्शन शैली: दर्शन के समय परदे बार-बार खोले और बंद किए जाते हैं, जो श्रीकृष्ण की चंचल लीलाओं का प्रतीक है। - प्रेम मंदिर – वृंदावन, उत्तर प्रदेश
स्थान: वृंदावन
विशेषता: सफेद संगमरमर से बना यह एक आधुनिक भव्य मंदिर है, जिसमें श्रीकृष्ण की लीलाओं को सुंदर शिल्पकारी के माध्यम से दर्शाया गया है।
आकर्षण: शाम के समय लाइट और साउंड शो के माध्यम से कृष्ण लीलाओं का सुंदर चित्रण किया जाता है। - इस्कॉन मंदिर – नई दिल्ली
स्थान: ईस्ट ऑफ कैलाश, नई दिल्ली
विशेषता: यह मंदिर राधा-कृष्ण को समर्पित है और यहाँ प्रतिदिन कीर्तन, श्रीमद्भगवद्गीता के उपदेश, और वैश्विक भक्ति आंदोलन का प्रचार होता है।
उत्सव: यहाँ जन्माष्टमी, गीता जयंती, और गौर पूर्णिमा जैसे पर्व भव्य रूप से मनाए जाते हैं। - श्री राधा रमण मंदिर – वृंदावन, उत्तर प्रदेश
स्थान: वृंदावन
अद्भुत तथ्य: यहाँ की राधा रमण की मूर्ति स्वयं शालिग्राम शिला से प्रकट हुई मानी जाती है, जिसे किसी ने तराशा नहीं।
विशेषता: यह मंदिर गहरी भक्ति भावना और परंपरागत पूजा विधियों के लिए प्रसिद्ध है।