परिचय
- भगवान श्रीराम, भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है – एक आदर्श राजा, पुत्र और पति के रूप में उनकी छवि पूजनीय है।
- उनका जीवनचरित्र रामायण में वर्णित है, जो धर्म, सत्य, और भक्ति जैसे जीवनमूल्यों की शिक्षा देता है।
- राम आरती एक भक्तिपूर्ण स्तुति है, जो भगवान राम की महिमा का गुणगान करने और उनका आशीर्वाद पाने हेतु गाई जाती है।
- यह आरती विशेष रूप से राम नवमी, दीवाली, तथा दैनिक पूजा के अवसर पर घरों और मंदिरों में की जाती है।
- राम आरती का पाठ करने से शांति, साहस, और धार्मिक आचरण (धर्मनिष्ठा) जीवन में समाहित होता है।
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन,हरण भवभय दारुणम्। नव कंज लोचन, कंज मुख करकंज पद कंजारुणम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि,नव नील नीरद सुन्दरम्। पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचिनौमि जनक सुतावरम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...॥
भजु दीनबंधु दिनेशदानव दैत्य वंश निकन्दनम्। रघुनन्द आनन्द कन्द कौशलचन्द्र दशरथ नन्द्नम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...॥
सिर मुकुट कुंडल तिलकचारू उदारु अंग विभूषणम्। आजानुभुज शर चाप-धर,संग्राम जित खरदूषणम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...॥
इति वदति तुलसीदास,शंकर शेष मुनि मन रंजनम्। मम हृदय कंज निवास कुरु,कामादि खल दल गंजनम्॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...॥
मन जाहि राचेऊ मिलहिसो वर सहज सुन्दर सांवरो। करुणा निधान सुजानशील सनेह जानत रावरो॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...॥
एहि भाँति गौरी असीससुन सिय हित हिय हरषित अली। तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनिमुदित मन मन्दिर चली॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...॥
श्रीराम जी के प्रमुख तथ्य
- विष्णु के सातवें अवतार
भगवान श्रीराम, भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं, जो धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश हेतु पृथ्वी पर अवतरित हुए। - अयोध्या में जन्म व रामायण के केंद्र में
श्रीराम का जन्म राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर अयोध्या में हुआ। उनका जीवन रामायण महाकाव्य का आधार है। - मर्यादा पुरुषोत्तम – आदर्श पुरुष
श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है – वे आदर्श पुत्र, आदर्श पति, और आदर्श शासक के रूप में प्रतिष्ठित हैं, जिन्होंने सदैव सत्य और धर्म का मार्ग अपनाया। - रावण पर विजय व सीता माता की रक्षा
14 वर्षों के वनवास और कठिन संघर्षों के बाद श्रीराम ने रावण का वध कर माता सीता को पुनः प्राप्त किया और धर्म व मर्यादा की पुनः स्थापना की। - पूजा व उत्सवों में व्यापक सम्मान
भगवान श्रीराम की पूजा पूरे भारत में व्यापक रूप से की जाती है। राम नवमी और दीवाली जैसे पर्व उनके जन्म और अयोध्या वापसी की स्मृति में मनाए जाते हैं।
श्रीराम जी की आरती कब करें
- प्रातः और सायं पूजा के समय
घर या मंदिर में नियमित पूजा के अंतर्गत सूर्योदय और सूर्यास्त के समय राम जी की आरती करना उत्तम माना जाता है। - राम नवमी (श्रीराम का जन्मोत्सव)
यह दिन श्रीराम के दिव्य जन्म की स्मृति में सबसे पावन अवसर होता है, जब भक्ति भाव से आरती गाई जाती है। - दीवाली के पर्व पर
14 वर्षों के वनवास के बाद श्रीराम की अयोध्या वापसी की खुशी में दीपावली पर आरती की जाती है – यह सत्य की असत्य पर विजय का प्रतीक है। - रामायण पाठ या कथा के बाद
रामायण पाठ, सुंदरकांड या अन्य श्रीराम से संबंधित धार्मिक कथा के समापन पर आरती करना पारंपरिक रूप से शुभ माना जाता है। - विशेष पूजा, मंगलवार या पर्वों पर
राम जी की आरती भजन, सत्संग, या किसी श्रीराम से संबंधित पूजा-अनुष्ठान में शांति, शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु की जाती है।
उत्तर भारत के 4 प्रमुख श्रीराम मंदिर
- राम जन्मभूमि मंदिर – अयोध्या, उत्तर प्रदेश
स्थान: अयोध्या
महत्त्व: यह मंदिर भगवान श्रीराम के जन्मस्थान पर स्थित है और हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है।
विशेषता: यहाँ राम नवमी पर भव्य उत्सव मनाया जाता है; नया राम मंदिर वर्ष 2024 में उद्घाटित हुआ है। - रघुनाथ मंदिर – जम्मू, जम्मू और कश्मीर
स्थान: जम्मू शहर
विशेषता: यह मंदिर श्रीराम और उनके परिवार को समर्पित है; यह उत्तर भारत के सबसे बड़े मंदिर परिसरों में से एक है।
विशेष आकर्षण: यहाँ प्राचीन पांडुलिपियाँ और हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ संरक्षित हैं। - श्रीराम तीर्थ मंदिर – अमृतसर, पंजाब
स्थान: अमृतसर के पास
विशेषता: माना जाता है कि यह महर्षि वाल्मीकि का आश्रम था, जहाँ माता सीता ने लव और कुश को जन्म दिया था।
महत्त्व: यह स्थान रामायण काल से जुड़ा हुआ है और ऐतिहासिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। - रघुनाथजी मंदिर – देवप्रयाग, उत्तराखंड
स्थान: देवप्रयाग (अलकनंदा और भागीरथी का संगम स्थल)
महत्त्व: यह प्राचीन मंदिर वह स्थान माना जाता है जहाँ भगवान राम ने रावण वध के बाद तपस्या की थी।
प्राकृतिक सौंदर्य: यह मंदिर हिमालय की गोद में स्थित है और यहाँ की आध्यात्मिक ऊर्जा अत्यंत दिव्य मानी जाती है।