श्रीमद्भगवत् गीता जी आरती हिंदी और अंग्रेज़ी में अर्थ सहित | तथ्य | लाभ | अवसर व कब करें पाठ"

श्रेणी:Other Vedic Arti
उपश्रेणी:Shreemad Bhgvad Gita ji
श्रीमद्भगवत् गीता जी  आरती हिंदी और अंग्रेज़ी में अर्थ सहित | तथ्य | लाभ | अवसर व कब करें पाठ"
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भगवद्गीता आरती का परिचय

  1. भगवद्गीता आरती एक भक्तिपूर्ण स्तुति है जो भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गीता में दिए गए दिव्य ज्ञान को सम्मानित करती है।
  2. इसमें श्रीकृष्ण को उस सर्वोच्च मार्गदर्शक और सारथी के रूप में सराहा जाता है जिन्होंने कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन को आध्यात्मिक सत्य का उपदेश दिया।
  3. यह आरती धर्म, कर्तव्य और मोक्ष के शाश्वत संदेश का उत्सव मनाती है जो गीता में निहित है।
  4. यह आरती मंदिरों और घरों में श्रद्धा के साथ गाई जाती है, जो आत्मा को ऊर्जावान करती है और गीता के दिव्य उपदेशों से जुड़ाव को गहरा करती है।
  5. गीता जयंती के अवसर पर विशेष रूप से इसका पाठ किया जाता है, जिससे गीता का शाश्वत महत्व दैनिक जीवन में स्मरण रहता है।




श्रीमद्भगत गीता आरती

जय भगवद् गीते, माता जय भगवद् गीते।
हरि हिय कमल विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते॥

जय भगवद् गीते, माता जय...॥

कर्म सुमर्म प्रकाशिनि, कामासक्ति हरा।
तत्त्वज्ञान विकाशिनि, विद्या ब्रह्म परा॥

जय भगवद् गीते, माता जय...॥

निश्चल भक्ति विधायिनि, निर्मल मलहारी।
शरण रहस्य प्रदायिनि, सब विधि सुखकारी॥

जय भगवद् गीते, माता जय...॥

राग द्वेष विदारिणि, कारिणि मोद सदा।
भव भय हारिणि तारिणि, परमानन्दप्रदा॥

जय भगवद् गीते, माता जय...॥

आसुर-भाव विनाशिनि, नाशिनि तम रजनी।
दैवी सद्गुण दायिनि, हरि-रसिका सजनी॥

जय भगवद् गीते, माता जय...॥

समता त्याग सिखावनि, हरि मुख की बानी।
सकल शास्त्र की स्वामिनि, श्रुतियों की रानी॥

जय भगवद् गीते, माता जय...॥

दया-सुधा बरसावनि, मातु! कृपा कीजै।
हरिपद प्रेम दान कर, अपनो कर लीजै॥

जय भगवद् गीते, माता जय भगवद् गीते।
हरि हिय कमल-विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते॥

जय भगवद् गीते, माता जय...॥



 भगवद् गीता के मुख्य तथ्य

  1. ग्रंथ का प्रकार: एक पवित्र हिन्दू शास्त्र; महाभारत के भीष्म पर्व (अध्याय 23–40) का भाग
  2. वक्ता: भगवान श्रीकृष्ण, जिन्होंने अर्जुन को दिव्य ज्ञान प्रदान किया
  3. संदर्भ: कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि पर, युद्ध प्रारंभ होने से पहले
  4. श्लोक संख्या: कुल 700 संस्कृत श्लोकों का संग्रह
  5. मुख्य शिक्षाएँ: कर्म योग (कर्म), भक्ति योग (भक्ति), और ज्ञान योग (ज्ञान) पर आधारित
  6. गीता जयंती: मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को मनाई जाती है; इसी दिन श्रीकृष्ण ने यह ज्ञान दिया थ
  7. वैश्विक प्रभाव: 80 से अधिक भाषाओं में अनुवाद; विश्वभर में आध्यात्मिक साधकों द्वारा पूज्य
  8. सार्वभौमिक संदेश: निष्काम कर्म, कर्तव्य पालन, आत्मिक शांति और आत्मबोध की शिक्षा देती है

 भगवद् गीता आरती कब करें

  1. गीता जयंती (मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी) को गीता की आरती करना सबसे शुभ माना जाता है। यह दिन भगवद् गीता के प्राकट्य का प्रतीक है और आमत: नवंबर या दिसंबर में आता है।
  2. रोज़ाना या साप्ताहिक पूजा (विशेष रूप से गुरुवार और रविवार) के दौरान आरती करने से आत्मिक ज्ञान और स्पष्टता प्राप्त होती है।
  3. ब्रह्म मुहूर्त (प्रातः काल) या संध्या समय (सूर्यास्त) में आरती करना शुभ माना जाता है — यह मन को शांति, एकाग्रता और दिव्यता प्रदान करता है।
  4. भगवद् गीता के श्लोक पढ़ने से पहले या बाद में आरती करने से श्रीकृष्ण के संदेश से भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है।
  5. भक्ति सत्संग, गीता पाठ, या कृष्ण भजन के दौरान आरती गाई जाती है ताकि गीता के दिव्य ज्ञान का सम्मान किया जा सके।



भारत में भगवद गीता से जुड़े प्रमुख 5 प्रसिद्ध मंदिर

  1. ज्योतिसर मंदिर – कुरुक्षेत्र, हरियाणा
    यह वह स्थान माना जाता है जहाँ श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था।
    यहाँ एक पवित्र पीपल वृक्ष, कृष्ण-अर्जुन रथ की प्रतिमा और गीता पर आधारित लाइट एंड साउंड शो होता है।
    गीता जयंती के अवसर पर यहाँ दर्शन करना विशेष फलदायी होता है।
  2. इस्कॉन मंदिर – भारत के विभिन्न शहरों में (विशेषकर दिल्ली और वृंदावन)
    ये मंदिर श्रीकृष्ण और भगवद गीता के प्रचार-प्रसार को समर्पित हैं।
    इनमें प्रतिदिन गीता पाठ, गीता कोर्स, और आध्यात्मिक शिक्षा कार्यक्रम चलते हैं।
    प्रमुख स्थानों में दिल्ली, वृंदावन, मायापुर और बैंगलोर शामिल हैं।
  3. गीता मंदिर – मथुरा, उत्तर प्रदेश
    बिरला परिवार द्वारा निर्मित यह मंदिर गीता के सभी 700 श्लोकों को दीवारों पर उकेरे जाने के लिए प्रसिद्ध है।
    भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि में स्थित यह मंदिर शांति और भक्ति से परिपूर्ण वातावरण प्रदान करता हैं।
  4. गीता भवन – ऋषिकेश, उत्तराखंड
    यह एक प्रमुख आध्यात्मिक स्थल है जहाँ गीता का अध्ययन, पाठ और प्रवचन होते हैं।
    यहाँ साधकों के लिए निःशुल्क आवास की व्यवस्था है और विभिन्न भाषाओं में गीता की पुस्तकें उपलब्ध हैं।
  5. कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर – हरियाणा
    यह कोई मंदिर नहीं है, परंतु गीता के युद्ध क्षेत्र से जुड़ा एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
    यहाँ गीता से संबंधित मूर्तियाँ, प्रतिदिन आरती, और गीता जयंती पर भव्य आयोजन होते हैं।

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