प्रमुख तथ्य
- पवित्रता और भक्ति का प्रतीक
तुलसी माता मंदिर देवी वृंदा (तुलसी) को समर्पित है, जो शुद्धता, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रतीक मानी जाती हैं। - दुर्लभ और अनोखा मंदिर
तुलसी माता के स्वतंत्र मंदिर बहुत ही दुर्लभ हैं, जिससे इनका आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। - भगवान विष्णु से संबंध
तुलसी माता को भगवान विष्णु की पत्नी माना जाता है। तुलसी विवाह एक प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान है, जो पूरे भारत में मनाया जाता है। - घरों में दैनिक पूजन का केंद्र
भले ही मंदिर कम हों, तुलसी का पूजन रोज़ाना लाखों हिंदू घरों में जीवित देवी के रूप में किया जाता है। - पूजन से मिलती कृपा और मोक्ष
तुलसी माता की भक्ति से पापों का नाश होता है, शुभ फल प्राप्त होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति संभव मानी जाती है।
॥ श्री तुलसी जी की आरती ॥
जय जय तुलसी माता, सबकी सुखदाता वर माता।
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर, रुज से रक्षा करके भव त्राता।
जय जय तुलसी माता।
बहु पुत्री है श्यामा, सूर वल्ली है ग्राम्या, विष्णु प्रिय जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
जय जय तुलसी माता।
हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित, पतित जनों की तारिणि, तुम हो विख्याता।
जय जय तुलसी माता।
लेकर जन्म बिजन में आई दिव्य भवन में, मानव लोक तुम्हीं से सुख सम्पत्ति पाता।
जय जय तुलसी माता।
हरि को तुम अति प्यारी श्याम वर्ण सुकुमारी, प्रेम अजब है श्री हरि का तुम से नाता।
जय जय तुलसी माता।
तुलसी माता – मुख्य जानकारी
- तुलसी माता को देवी वृंदा का अवतार माना जाता है, जो लक्ष्मी जी की एक रूप हैं और भगवान विष्णु की अति प्रिय पत्नी मानी जाती हैं।
- तुलसी को प्रतिदिन एक जीवित पौधे के रूप में पूजा जाता है, जबकि अन्य देवी-देवताओं की पूजा मूर्तियों के रूप में होती है।
- कार्तिक मास में तुलसी विवाह (तुलसी जी और शालिग्राम जी का प्रतीक विवाह) मनाया जाता है, जिससे हिंदू विवाह मुहूर्त की शुरुआत होती है।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी जी का संबंध जलंधर, भगवान विष्णु और अटूट भक्ति से जुड़ा है। आयुर्वेद में तुलसी का उपयोग सर्दी, बुखार, तनाव व रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में होता है।
- तुलसी माता की पूजा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, समृद्धि आती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तुलसी माता जी की आरती कब करें
- प्रतिदिन प्रातः और संध्या को
तुलसी के पौधे के पास सूर्योदय और सूर्यास्त के समय दीपक जलाकर आरती करें। इससे घर में सुख-शांति और शुभ ऊर्जा आती है। - तुलसी विवाह के समय (कार्तिक मास)
कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी से पूर्णिमा तक तुलसी माता और शालिग्राम विष्णु जी का प्रतीक विवाह होता है। उस समय आरती विशेष फलदायक मानी जाती है। - एकादशी के दिन
एकादशी भगवान विष्णु और तुलसी माता को समर्पित होती है। इस दिन आरती करने से विशेष पुण्य और कृपा प्राप्त होती है। - प्रमुख हिन्दू पर्वों के अवसर पर
दिवाली, कार्तिक मास और नवरात्रि जैसे पर्वों पर तुलसी पूजन व आरती का विशेष महत्व होता है। - घर पर तुलसी पूजन करते समय
यदि घर में तुलसी का पौधा है तो प्रतिदिन उसकी आरती करने से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
भारत के प्रमुख तुलसी माता मंदिर
- तुलसी मानस मंदिर – वाराणसी, उत्तर प्रदेश
स्थान: वाराणसी (काशी), उत्तर प्रदेश
महत्व: जहाँ गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की थी
विशेषता: भगवान राम और तुलसी माता को समर्पित; दीवारों पर रामचरितमानस की चौपाइयाँ अंकित हैं - तुलसी वृंदावन मंदिर – अहमदाबाद, गुजरात
स्थान: अहमदाबाद, गुजरात
महत्व: गिने-चुने मंदिरों में से एक जहाँ तुलसी माता मुख्य देवी के रूप में पूजित हैं।
विशेषता: तुलसी विवाह और कार्तिक मास में विशेष भीड़ रहती है। - तुलसी माता मंदिर – छतरपुर, मध्य प्रदेश
स्थान: खजुराहो के निकट, छतरपुर जिला
महत्व: एक प्राचीन मंदिर जहाँ पारंपरिक विधि से तुलसी माता की पूजा होती है।
विशेषता: विवाह संबंधी आशीर्वाद और तुलसी विवाह हेतु प्रसिद्ध है । - तुलसी माता मंदिर – बीकानेर, राजस्थान
स्थान: बीकानेर, राजस्थान
महत्व: एक ऐतिहासिक मंदिर जो आध्यात्मिक शुद्धता का प्रतीक है।
विशेषता: भक्त तुलसी दल चढ़ाते हैं, दीपक जलाते हैं और आरती करते हैं। - इस्कॉन मंदिर – विभिन्न शहरों में (जैसे वृंदावन, मुंबई, मायापुर)
स्थान: भारत के प्रमुख इस्कॉन केंद्र
महत्व: मुख्यतः श्रीकृष्ण को समर्पित, परंतु तुलसी माता की भी दैनिक पूजा होती है।
विशेषता: प्रतिदिन प्रातः और सायं तुलसी की आरती एवं परिक्रमा की जाती है।