श्रीनिवास जगन्नाथ श्रीहरे भक्तवत्सल ।
लक्ष्मीपते नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात् ॥
Śrīnivāsa Jagannātha Śrīhare Bhaktavatsala ।
Lakṣmīpate Namastubhyam Trāhi Māṁ Bhavasāgarāt ॥
भावार्थ:
हे श्रीनिवास, जगन्नाथ, श्रीहरि, भक्तों पर विशेष स्नेह रखने वाले!
हे लक्ष्मीपति! आपको नमस्कार है, कृपया मुझे संसार-सागर से उबारिए।
राधारमण गोविंद भक्तकामप्रपूरक ।
नारायण नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात् ॥
Rādhāramaṇa Govinda Bhaktakāmaprapūraka ।
Nārāyaṇa Namastubhyam Trāhi Māṁ Bhavasāgarāt ॥
भावार्थ:
हे राधारमण गोविंद! भक्तों की सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाले नारायण!
आपको नमस्कार है, कृपया मुझे भवसागर से पार कराइए।
दामोदर महोदार सर्वापत्तीनिवारण ।
ऋषिकेश नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात् ॥
Dāmōdara Mahōdara Sarvāpattīnivāraṇa ।
Ṛṣikēśa Namastubhyam Trāhi Māṁ Bhavasāgarāt ॥
भावार्थ:
हे दामोदर! महोदर! जो सभी आपदाओं को दूर करने वाले हैं —
ऋषिकेश! आपको नमस्कार है, मुझे इस संसार-सागर से बचाइए।
गरुडध्वज वैकुंठनिवासिन्केशवाच्युत ।
जनार्दन नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात् ॥
Garuḍadhvaja Vaikuṇṭhanivāsin Kēśavācyuta ।
Janārdana Namastubhyam Trāhi Māṁ Bhavasāgarāt ॥
भावार्थ:
गरुड़ध्वज, वैकुण्ठ के निवासी, केशव, अच्युत, जनार्दन —
आपको साष्टांग नमस्कार! कृपया मुझे भवसागर से उबारें।
शंखचक्रगदापद्मधर श्रीवत्सलांच्छन ।
मेघश्याम नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात् ॥
Śaṅkhacakragadāpadmadhara Śrīvatsalāñchana ।
Meghaśyāma Namastubhyam Trāhi Māṁ Bhavasāgarāt ॥
भावार्थ:
शंख, चक्र, गदा और कमल धारण करने वाले, श्रीवत्स चिह्न से सुशोभित,
मेघश्याम (श्यामवर्ण) प्रभु! कृपया मुझे भवसागर से तारें।
त्वं माता त्वं पिता बंधु: सद्गुरूस्त्वं दयानिधी: ।
त्वत्तोs न्यो न परो देवस्त्राही मां भवसागरात् ॥
Tvaṁ Mātā Tvaṁ Pitā Bandhuḥ Sadgurustvaṁ Dayānidhiḥ ।
Tvattō’nyō Na Parō Dēvastarāhi Māṁ Bhavasāgarāt ॥
भावार्थ:
आप ही मेरे माता, पिता, बंधु, सद्गुरु और दया के सागर हैं।
आपसे बढ़कर कोई देवता नहीं — कृपया मुझे भवसागर से बचाइए।
न जाने दानधर्मादि योगं यागं तपो जपम ।
त्वं केवलं कुरु दयां त्राहि मां भवसागरात् ॥
Na Jānē Dāna Dharmādi Yōgaṁ Yāgaṁ Tapō Japam ।
Tvaṁ Kēvalaṁ Kuru Dayāṁ Trāhi Māṁ Bhavasāgarāt ॥
भावार्थ:
मैं न तो दान, धर्म, योग, यज्ञ, तप या जप जानता हूँ।
हे प्रभु! केवल अपनी दया करें और मुझे भवसागर से पार करें।
न मत्समो यद्यपि पापकर्ता न त्वत्समोऽथापि हि पापहर्ता ।
विज्ञापितं त्वेतदशेषसाक्षीन मामुद्धरार्तं पतितं तवाग्रे ॥
Na Matsamō Yadyapi Pāpakartā Na Tvatsamō’thāpi Hi Pāpahartā ।
Vijñāpitaṁ Tvētadaśēṣasākṣīn Māmuḍdharārtaṁ Patitaṁ Tavāgrē ॥
भावार्थ:
यद्यपि मुझ जैसा पापी कोई नहीं है, परन्तु आप जैसे पाप हरने वाले भी कोई नहीं।
इस सम्पूर्ण साक्षात (सबके समक्ष) प्रार्थना है — मुझे इस दुख में डूबे हुए को उबारिए।
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