Purify Your Life with Ganga Mata’s Blessings – Stotra for Devotees

श्रेणी:Goddess Stotra
उपश्रेणी:Top Hindu Goddesses and Their Powerful Stotras – Complete Guide
Purify Your Life with Ganga Mata’s Blessings – Stotra for Devotees
Purify Your Life with Ganga Mata’s Blessings – Stotra for Devotees Icon

Introduction

  • Ganga Mata Stotram is a sacred hymn dedicated to Goddess Ganga, the divine river who descended from the heavens to purify Earth.
  • The stotra praises her purity, spiritual power, and ability to cleanse sins and karmic burdens.
  • Reciting this stotra invokes her blessings for inner peace, moksha (liberation), and removal of past misdeeds.
  • It is highly recommended during Ganga Dussehra, daily baths, or river pilgrimages.
  • Regular chanting brings mental clarity, devotion, and deep spiritual purification.



देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गेत्‌रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे।
शङ्करमौलिविहारिणि विमले मममतिरास्तां तव पदकमले॥1॥
Devi sūreśvari bhagavati gaṅgē tri-bhuvana-tāriṇi tarala-taraṅge.
Śankara-mauli-vihāriṇi vimale mama matir āstām tava padaka-male ||1||

हिंदी अर्थ:
हे देवी! आप देवों की अधिष्ठात्री, तीनों लोकों को पार कराने वाली, तरल लहरी वाली गंगा हैं।
आप शंकर की जटाओं में खेलती हुई शुद्ध सागर जैसी—हे गायत्री! मेरी बुद्धि हमेशा आपके चरणकमल पर बनी रहे।


भागीरथिसुखदायिनि मातस्तवजलमहिमा निगमे ख्यातः।
नाहं जाने तव महिमान्‌पाहि कृपामयि मामज्ञानम्॥2॥
Bhāgīrathi-sukhadāyini mātastava jala-mahimā nigame khyātaḥ.
Nāhaṁ jāne tava mahimān pāhi kṛpāmayi mām ajñānam ||2||

हिंदी अर्थ:
हे भागीरथ सुख देने वाली माता! आपके जल की महिमा तो वेदों व शास्त्रों में प्रसिद्ध है।
मैं आपकी महिमा को न समझ सका—कृपा कर मेरे अज्ञान को दूर करें।


हरिपदपाद्यतरङ्गिण गङ्गे हिमविधुमुक्ताधवलतरङ्गे।
दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारंकुरु कृपया भवसागरपारम्॥3॥
Haripada-pādya-taraṅgiṇa gaṅgē hima-vidhu-mukta-ādhavala-taraṅge.
Dūrī kuru mama duṣkṛti-bhāra-nkurū kṛpayā bhava-sāgara-pāram ||3||

हिंदी अर्थ:
हे पवित्र गंगा! जो हरिपद (शिव चरण) की ओर बहती हो, हिम जैसी श्वेत हलकी लहरों वाली हो,
मेरे पापों का भार दूर कर, कृपा करके मुझे मोक्ष के सागर तक ले चलें।

तव जलममलं येन निपीतं परमपदं खलु तेन गृहीतम्।
मातर्गंगे त्वयि यो भक्तःकिल तं द्रष्टुं न यमः शक्तः॥4॥
Tava jalam amalaṁ yena nipītaṁ paramapadaṁ khalu tena gṛhītam.
Mātargaṅgē tvayi yo bhaktaḥ kila taṁ dṛṣṭuṁ na yamaḥ śaktaḥ ||4||

हिंदी अर्थ:
हे माता गंगा! उस शुद्ध जल को जिसने शीर्ष लोक का पान किया—यम उसे भला देख भी न सकें।
आपमें जो भक्त सच्चे हृदय से प्रेम रखता है—यम उसकी रक्षा भी नहीं कर पाता।


पतितोद्धारिणि जाह्नविगङ्गे खण्डितगिरिवरमण्डितभङ्गे।
भीष्मजननि हे मुनिवरकन्ये पतितनिवारिणि त्रिभुवनधन्ये॥5॥
Patitoddhāriṇi jāhnavigaṅgē khaṇḍita-girivara-maṇḍita-bhaṅgē.
Bhīṣma-janani he munivarakan'ye patita-nivāriṇi tribhuvana-dhanye ||5||

हिंदी अर्थ:
हे जाह्नवी! आप पतितों को उठाने वाली, पर्वतों को विभाजित करने वाली, भीष्म जैसी तपस्विनी माता हो।
हे ऋषि-पुत्र कन्या—त्रिभुवन में धन्य हो—पतितनिवारिणी हो!

कल्पलतामिव फलदां लोके प्रणमति यस्त्वां न पतति शोके।
पारावारविहारिणि गङ्गे विमुखयुवतिकृततरलापाङ्गे॥6॥
Kalpalatām iva phaladāṁ lōkē praṇamati yastvāṁ na patati śōkē.
Pārā-vāra-vihāriṇi gaṅgē vimukhayuvatī-kṛta-tarala-pāṅgē ||6||

हिंदी अर्थ:
जैसे कल्पवृक्ष फल देता है, उसी तरह कोई भी दुखी हो कर भी गंगा को प्रणाम करता है।
तुम नर-नारी दोनों तटों पर चलते हुए, युवतियों का इश्क़ आकर्षित करती हुई—भागती लहरों से पूर्ण हो।


तव चेन्मातः स्रोतः स्नातः पुनरपि जठरे सोपि न जातः।
नरकनिवारिणि जाह्नवि गङ्गे कलुषविनाशिनि महिमोत्तुडे॥7॥
Tava cena mātah srōtaḥ snātaḥ punarapi jaṭhare sōpi na jātaḥ.
Naraka-nivāriṇi jāhnavigaṅgē kaḷuṣa-vināśini mahimōttuḍē ||7||

हिंदी अर्थ:
हे माता! यदि कोई आपकी धारा में स्नान करे तो फिर जठर = पेट में कोई दुर्गंध न उत्पन्न हो।
हे नरक निवारिणी, यह ज़ाह्नवी-गंगा—पाप-कलुष को नष्ट कर देती है—महिमा अवर्णनीय है।


पुनरसदंगे पुण्यतरंगे जयजय जाह्नवि करुणापांगे।
इंद्रमुकुटमणिराजितचरणेसुखदे शुभदे भृत्यशरण्ये॥8॥
Punarasadangē puṇyatarangē jayajaya jāhnavī karuṇāpāṅgē.
Indra-mukuṭa-maṇi-rājita- caraṇē-sukhadē śubhadē bhṛtya-śaraṇyē ||8||

हिंदी अर्थ:
हे करुणामयी जायत्री! जब आप पुण्य-तरंगों में फिर से वास करती हो—तब “जय जय” का संकल्प हों।
इंद्र-मुकुट-मणियों से शोभित आपके चरण—सुख देने वाले, शुभ और भक्त-पक्ष की शरण में स्थित हों।


रोगं शोकं तापं पापं हरहर मे भगवति कुमतिकलापम्।
त्रिभुवनसारे वसुधाहारेत्वमसि गतिर्मम खलु संसारे॥9॥
Rōgaṁ śōkaṁ tāpaṁ pāpaṁ haraha mē bhagavati kumatika-lāpam.
Tribhuvana-sārē vasudhāhārētvamasi gatirmama khalu saṁsārē ||9||

हिंदी अर्थ:
हे भगवती! दुर्भावनाओं से—रोग, शोक, ताप और पाप—मुझे दूर करो।
आप तीनों लोकों में भगवान और प्रधान हो—यह मेरे लिए संसार में मार्ग है।

अलकानन्दे परमानन्दे कुरु करुणामयि कातरवन्द्ये।
तव तटनिकटे यस्य निवासः खलु वैकुण्ठे तस्य निवासः॥10॥
Alakānandē paramānandē kuru karuṇāmayi kātaravandyē.
Tava taṭanikatē yasya nivāsaḥ khalu vaikunṭhē tasya nivāsaḥ ||10||

हिंदी अर्थ:
हे करुणामयी! आप अलौकिक आनंद और परम आनंद दोनो है।
जिसका निवास आपकी तट पर है—उसका निवास वास्तव में वैकुंठ में ही है।

वरमिह नीरे कमठो मीनः किं वा तीरे शरटः क्षीणः।
अथवा श्वपचो मलिनो दीनस्तवन हि दूरे नृपतिकुलीनः॥11॥
Varamiha nīrē kamaṭhō mīnaḥ kiṁ vā tīrē śaraṭaḥ kṣīṇaḥ.
Athavā śvapacō malinō dīnasta vana na rūpatikuḷīnaḥ ||11||

हिंदी अर्थ:
हे माता! मैं तुम्हारे जल में ही मीन हूँ—किन्तु यदि समुद्र या नदी किनारे जानवरों ने इसे मैला किया हो तब भी मैं (मर्यादा के अनुरूप)...
मैं राजा-सदृश पुरुष या गांव-निवासी नहीं हूँ।


भो भुवनेश्वरि पुण्ये धन्येदेवि द्रवमयि मुनिवरकन्ये।
गङ्गास्तवमिमममलं नित्यंपठति नरो यः स जयति सत्यम्॥12॥
Bhō bhuvaneśvari puṇyē dha nyēdēvi dravamayi munivarakanyē |
Gaṅgāstavamimamaṁ amalaṁ nityam paṭhati naro yaḥ sa jayant i satyam ||12||

हिंदी अर्थ:
हे भुवनेश्वरी! जो मनुजो यह पवित्र गंगा स्तुति—वह धन्य है, भक्तिमयी है, ऋषिपुत्री है।
जो इसे प्रति दिन पढ़ता है—वह संजर्य के समान विजयी होता है, यह सत्य है।


येषां हृदये गङ्गाभक्तिस्तेषां भवति सदा सुखमुक्तिः।
मधुराकान्तापज्झटिकाभिः परमानन्दकलितललिताभिः॥13॥
Yēṣāṁ hṛdayē gaṅgābhaktiṁ tēṣāṁ bhavati sadā sukha-muktiḥ |
Madhurākāntāpajjhaṭikābhiḥ paramānanda-kalitala litābhiḥ ||13||

हिंदी अर्थ:
जिसके हृदय में गंगा भक्ति होती है—उसके लिए सदा सुख एवं मुक्ति अनिवार्य होती है।
मधुर स्पर्श, स्फुट आनंद और परमानंद से भरे हुए उनका जीवन हो।

गंगास्तोत्रमिदं भवसारं वाञ्छितफलदं विमलं सारम्।
शङ्करसेवकशङ्कररचितं पठति सुखीः तव इति च समाप्तः॥14॥
Gaṅgā-stotramidaṁ bhavasaāraṁ vāñchitaphaladaṁ vimalam sāram |
Śaṅkarasevaka-śaṅkararacitaṁ paṭhati sukhīḥ tava iti ca samāptam ||14||

हिंदी अर्थ:
हे भक्तगण! यह गंगा स्तोत्र संसार का सार, इच्छित फल देने वाला, पवित्र सार है।
जो इसे पढ़ता है—वह शंकर-सेवक, शंकर-रचित इस पाठ से प्रसन्न होता है—ऐसा खत्म कहा गया है।

॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं गङ्गास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

कॉपीराइट © 2025 DevNaman Co., Ltd. सर्वाधिकार सुरक्षित।
डिज़ाइन: DevNaman