आदि शंकराचार्य कृत
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।
उज्जयिन्यां महाकालं ओंकारं ममलेश्वरम् ॥
Saurāṣṭre Somanāthaṁ cha Śrīśaile Mallikārjunam,
Ujjayinyāṁ Mahākālaṁ Omkāraṁ Mamaleśvaram.
भावार्थ:
सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैल पर मल्लिकार्जुन, उज्जयिनी में महाकाल और ओंकारेश्वर में ममलेश्वर — ये शिव के प्रथम चार ज्योतिर्लिंग हैं।
केदारं हिमवत्पृष्ठे डाकिन्यां भीमशङ्करम् ।
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे ॥
Kedāraṁ Himavat-pṛṣṭhe Ḍākinyāṁ Bhīmaśaṅkaram,
Vārāṇasyāṁ tu Viśveśaṁ Tryambakaṁ Gautamītaṭe.
भावार्थ:
हिमालय में केदारनाथ, डाकिनी प्रदेश में भीमशंकर, वाराणसी में विश्वेश्वर और गोदावरी तट पर त्र्यंबकेश्वर — ये चार और पवित्र ज्योतिर्लिंग हैं।
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारुकावने ।
सेतुबन्धे तु रामेशं घृष्णेशं शिवालये ॥
Vaidyanāthaṁ Citābhūmau Nāgeśaṁ Dārukāvane,
Setubandhe tu Rāmeśaṁ Ghṛṣṇeśaṁ Śivalaye.
भावार्थ:
श्मशान भूमि में वैद्यनाथ, दारुक वन में नागेश्वर, रामसेतु पर रामेश्वरम और घृष्णेश्वर — ये शेष चार ज्योतिर्लिंग हैं।
द्वादशैतानि नामानि प्रातःकाले पठेन्नरः ।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ॥
Dvādaśaitāni nāmāni prātaḥkāle paṭhennaraḥ,
Saptajanmakṛtaṁ pāpaṁ smaraṇena vinaśyati.
भावार्थ:
जो मनुष्य प्रातःकाल इन द्वादश ज्योतिर्लिंगों के नामों का पाठ करता है, उसके सात जन्मों के पाप भी स्मरण मात्र से नष्ट हो जाते हैं।
यात्रा द्वादश लिङ्गानां दर्शनं पापनाशनम् ।
सप्तजन्मकृतं पापं तत्क्षणादेव नश्यति ॥
Yātrā dvādaśa liṅgānāṁ darśanaṁ pāpanāśanam,
Saptajanmakṛtaṁ pāpaṁ tatkṣaṇādeva naśyati.
भावार्थ:
जो भक्त इन बारह ज्योतिर्लिंगों की यात्रा करता है और दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप तत्काल नष्ट हो जाते हैं।
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