Siddha Kunjika – Fastest Way to Activate Durga’s Energy in You

श्रेणी:Goddess Stotra
उपश्रेणी:Top Hindu Goddesses and Their Powerful Stotras – Complete Guide
Siddha Kunjika – Fastest Way to Activate Durga’s Energy in You
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Introduction
 

  • Siddha Kunjika Stotram is a highly secret and potent stotra, considered the key to unlocking the full power of the Durga Saptashati (Devi Mahatmyam).
  • It contains beej mantras and mystical syllables that invoke Chandi Devi in her most awakened, fierce, and blessing-giving form.
  • Reciting this stotra grants instant protection, energy, spiritual awakening, and destruction of negativity.
  • It is traditionally revealed to sincere sadhaks and is often recited before or in place of the complete Saptashati.
  • Regular chanting brings divine grace, mantra siddhi, and removal of all obstacles in spiritual and worldly paths.



सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र

शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत्॥1॥
Śṛṇu devi pravakṣyāmi kunjikā-stotram uttamam |
Yena mantra-prabhāvēṇa caṇḍī-jāpaḥ śubho bhavet ||1||

हिंदी अर्थ:
हे देवी! सुनिए, मैं आपको श्रेष्ठ कुञ्जिका स्तोत्र सुनाता हूँ, जिससे इस मंत्र की शक्ति से चण्डी जप शुभ फलदायी हो।


न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥2॥
Na kavacaṁ nārgalāstotraṁ kīlakaṁ na rahasyakam |
Na sūktaṁ nāpi dhyānaṁ ca na nyāso na ca vārcanam ||2||

हिंदी अर्थ:
इस स्तोत्र में कवच, यंत्र या कोई गुप्त मंत्र नहीं है—ना सूक्त, ना ध्यान, ना न्यास, ना वार्चन—केवल पाठ ही पर्याप्त है।
कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥3॥
Kunjungikā-pāṭha-mātreṇa durgā-pāṭha-phalaṁ labhet |
Ati guhyataraṁ devi devānāmapi durlabham ||3||

हिंदी अर्थ:
हे देवी! केवल इस कुञ्जिका स्तुति का पाठ करने से दुर्गापाठ का पूर्ण फल प्राप्त होगा। यह अत्यन्त गुह्य है, दैवाहित शिवागमियों को भी दुर्लभ।


गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥4॥
Gopanīyaṁ prayatnena svayoniriva pārvatī |
Māraṇaṁ mohanaṁ vaśyaṁ stambhana-uccāṭana-ādikam |
Pāṭha-mātreṇa saṁsiddhyet kunjikā-stotram uttamam ||4||

हिंदी अर्थ:
हे माता! यह स्तोत्र गुप्त है, जैसे पार्वती ने स्वयं जप किया हो।
इसके केवल पाठ से मृत्यु, मोह, वशीकरण, स्तम्भन, और विनाशक शक्तियां सिद्ध होती हैं।

 मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं क्लींचामुण्डायै विच्चे॥
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालयज्वालय ... स्वाहा॥

हिंदी अर्थ:
हे चामुण्डा! ऐं ह्रीं क्लीं मंत्र से तुम पर प्रसन्नता व सिद्धि की स्वाहा हो।

 स्तोत्र अभिषेक
नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि। नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥1॥
Namaste rūdrarūpiṇyai namaste madhumardini |
Namaḥ kaiṭabha-hāriṇyai namaste mahiṣārdini ||1||

हिंदी अर्थ:
हे रूढ़ रूपा! हे मधुमर्दिनी! हे कैटभ-घाती! हे महिषा-घाती!
आपको मेरा नमन।


नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि।
जाग्रतं हि महादेवी जपं सिद्धं कुरुष्व मे॥2॥
Namaste śumbha-hantryai ca niśumbhāsura-ghātini |
Jāgrataṁ hi mahādevī japaṁ siddhaṁ kuruṣva me ||2||

हिंदी अर्थ:
हे शृंभ-घाती, निशृंभ-घाती! हे महादेवी जाग्रत (प्रबुद्ध!) हो जाओ। मेरे जप को सिद्ध करो।


ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते॥3॥
Aṃkārī sṛṣṭi-rūpāyai hrīṃkārī pratipālikā |
Klīṃkārī kāma-rūpiṇyai bīja-rūpe namo'stu te ||3||

हिंदी अर्थ:
हे ऐं-कार की स्रष्टा, ह्रीं-कार की पालक!
क्लीं-कार हो, काम रूपा हो—आप बृ seed—प्रणाम।

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥4॥
Cāmuṇḍā caṇḍa-ghātī ca yaikārī varadāyinī |
Vicce cābhayadā nityaṁ namaste mantra-rūpiṇi ||4||

हिंदी अर्थ:
हे चामुण्डा! चण्ड-घाती, यै-कार की देवी—आप वरदान देने वाली, अभयप्रद हो।
मैं आपको निरन्तर प्रणाम करता हूँ, आप मंत्र-रूपिणी हैं।


धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥5॥
Dhāṁ dhīṁ dhūṁ dhūrjaṭēḥ patnī vāṁ vīṁ vūṁ vāgadhīśvarī |
Krāṁ krīṁ krūṁ kālikā devi śāṁ śīṁ śūṁ me śubhaṁ kuru ||5||

हिंदी अर्थ:
हे जटाधारी पत्नी! वां-वीं-वूं के साथ—आप वाणी की अधिष्ठात्री।
क्रां-क्रीं-क्रूं के साथ कालिका देवी! आपको मेरा प्रणाम, कृपा से मेरे सब शुभ कार्य करें।


हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥6॥
Huṁ huṁ huṁ-kār-rūpiṇyai jaṁ jaṁ jaṁ jambhanādinī |
Bhrāṁ bhrīṁ bhrūṁ bhairavī bhadre bhavānyai te namo namaḥ ||6||

हिंदी अर्थ:
हे हुं-कार रूपिणी! जं-जं-जं से—जम्भनादिनी!
भ्रीं से—भैरवी भद्रे! आपको मेरा नमस्कार।

संस्कृत:
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥7॥
Aṁ kaṁ caṁ ṭaṁ taṁ paṁ yaṁ śaṁ vīṁ duṁ aiṁ vīṁ haṁ kṣaṁ |
Dhijāgraṁ dhijāgraṁ troṭaya troṭaya dīptaṁ kuru kuru svāhā ||7||

हिंदी अर्थ:
इन बीज-मंत्रों का जाप करें — आपकी चित्त पवित्र हो, तेज दीप्तिमान हो—ऐसा स्वाहा के साथ जप करें।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥8॥
Pāṁ pīṁ pūṁ pārvatī pūrṇā khāṁ khīṁ khūṁ khēcari tathā |
Sāṁ sīṁ sūṁ saptashatī devyā mantrasiddhiṁ kuruṣva me ||8||

हिंदी अर्थ:
हे पार्वती पूर्णा! आपको प्रणाम — साथ में 'खां-खीं-खूं-क' के जाप और सप्तशती, देव्या मंत्र के जप से मुझे सिद्धि प्रदान करें।

 समाप्ति वाक्य
इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे... यस्तु कुञ्जिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत...
Idaṁ tu kunjikā-stotram mantrajāgar tīhetave... yastu kunjikayā devi hīnāṁ saptashatīṁ paṭhet...||
हिंदी अर्थ:
हे देवी! यह कुञ्जिका स्तोत्र केवल मंत्र जाग्रति हेतु है। जो केवल कुञ्जिका पढ़कर सप्तशती छूटे—उस पर सिद्धि नहीं होती, ऐसा जान लो।

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