Shravan Somvar Vrat Katha

Shravan Somvar Vrat Katha

पढ़ने का समय: 3 मिनट

श्रावण सोमवार व्रत कथा

 श्लोक — श्रावण मास की महिमा

श्रावणे न हरेरार्चा, कृता येन मनस्विना।
स गच्छेत्परमं स्थानं, विष्णुलोके महीयते॥

अर्थ:
जो मनुष्य श्रावण मास में श्रद्धा से भगवान हरि (शिव) की पूजा करता है, वह परम पद को प्राप्त करता है और भगवान के लोक में सम्मानित होता है।

 श्रावण मास की भूमिका:

श्रावण मास हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पाँचवाँ महीना है, जिसे भगवान शिव का प्रिय मास माना गया है। यह महीना वर्षा ऋतु में आता है और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना गया है। इस मास में प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा और व्रत का विधान है, जिसे श्रावण सोमवार व्रत कहा जाता है। मान्यता है कि श्रावण के सोमवार को व्रत करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सुख, समृद्धि, संतान, और मोक्ष प्रदान करते हैं।

 श्रावण सोमवार व्रत कथा 

बहुत पहले एक नगर में एक धनी साहूकार रहता था। उसके पास अपार धन-संपत्ति थी, परंतु संतान न होने के कारण वह बहुत दुखी था। वह नित्य शिव मंदिर जाकर पूजा करता और हर सोमवार को व्रत रखता। उसकी भक्ति देखकर माता पार्वती ने भगवान शिव से उसकी इच्छा पूरी करने का आग्रह किया। भगवान शिव ने कहा, “जो भाग्य में लिखा है, उसे कोई नहीं बदल सकता।” लेकिन माता पार्वती के बार-बार आग्रह करने पर उन्होंने साहूकार को पुत्र रत्न का वरदान दिया, परंतु साथ ही कहा कि उसके पुत्र की आयु केवल 12 वर्ष होगी।

कुछ समय बाद साहूकार के घर पुत्र हुआ। जब वह बालक 11 वर्ष का हुआ, तो साहूकार ने उसे पढ़ाई के लिए काशी भेजा और साथ में मामा को भेजा। उन्होंने रास्ते में ब्राह्मणों को दान देने, यज्ञ करने का आदेश भी दिया। यात्रा में एक नगर आया जहां एक राजकुमारी का विवाह हो रहा था। असली दूल्हा एक आँख से काना था, और राजा ने उस सत्य को छिपाने के लिए साहूकार के पुत्र को दूल्हा बना दिया। लेकिन उस बालक ने धोखे से बचने के लिए राजकुमारी की चुनरी में सच्चाई लिख दी। इस कारण विवाह रुक गया। काशी पहुँचकर उन्होंने यज्ञ किया। जैसे ही बालक की उम्र 12 वर्ष की हुई, उसकी मृत्यु हो गई। मामा विलाप करने लगे। उसी समय से वहां से गुजरते भगवान शिव और माता पार्वती ने सब सुना। माता पार्वती ने करुणा दिखाई और शिवजी से बालक को पुनः जीवित करने की प्रार्थना की। शिवजी ने उसकी जान वापस दे दी। वापस लौटते समय वे उसी नगर पहुंचे, जहां विवाह हुआ था। राजा ने उन्हें पहचान लिया और धूमधाम से विवाह कराया गया। जब वे घर पहुँचे, तब साहूकार और उसकी पत्नी अत्यंत प्रसन्न हुए। उसी रात भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन देकर कहा — “तुम्हारे सोमवार व्रत और श्रद्धा के कारण तुम्हारे पुत्र को दीर्घायु जीवन मिला है। जो श्रद्धा से सोमवार का व्रत करेगा, उसकी हर इच्छा पूरी होगी।”

 श्रावण सोमवार व्रत विधि :

  1. प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
  2. भगवान शिव का गंगाजल, दूध, दही, मधु, घृत से अभिषेक करें।
  3. बेलपत्र, धतूरा, पुष्प, भस्म आदि चढ़ाएं।
  4. "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का 108 बार जाप करें।
  5. शिव-पार्वती की कथा सुनें अथवा पढ़ें।
  6. दिनभर व्रत रखें — फलाहार अथवा निर्जल।
  7. संध्या को दीप, धूप से शिव आरती करें।
  8. गरीबों, ब्राह्मणों को दान दें।

 श्रावण सोमवार व्रत के लाभ :

  • भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
  • सुख-शांति और वैवाहिक जीवन में आनंद आता है।
  •  संतान सुख, धन, और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
  • पापों का नाश होता है और जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  • मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

शेयर करें

कॉपीराइट © 2025 DevNaman Co., Ltd. सर्वाधिकार सुरक्षित।
डिज़ाइन: DevNaman