पितृ स्तोत्र
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ॥
Architānāṁ mūrtānāṁ pitṛṇāṁ dīpta-tejasām,
Namasyāmi sadā teṣāṁ dhyānināṁ divya-cakṣuṣām.
हिंदी अर्थ:
जो पितर पूजित मूर्तियाँ और तेजस्वी थे,
जिन्हें ध्यान देने वाले दिव्य दृष्टिवाले थे — उन्हें मैं सदा नमस्कार करता हूँ।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ॥
Indrādīnāṁ ca netāro Dakṣamārīcayoḥ tathā,
Saptarṣīṇāṁ tathā-nyeṣāṁ tān namasyāmi kāma-dān.
हिंदी अर्थ:
इन्द्र और अन्य देवताओं के नेता, दक्ष और मारिच जैसे विदित ऋषि,
सप्त ऋषियों एवं अन्य जनों — सभी को मैं काम-प्राप्ति की इच्छा सहित नमन करता हूँ।
मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्याचन्द्रमसोस्तथा ।
तान् नमस्याम्यहं सर्वान् पितृनप्सूदधāvपि ॥
Manvādīnāṁ munīndrāṇāṁ Sūryā-candrāmaso-stathā,
Tān namasyāmyahaṁ sarvān pitṛ-napsūdadhāv api.
हिंदी अर्थ:
मनुओं और मुनियों के राजा, सूर्य–चन्द्र आदि को भी,
मैं सभी पितरों तथा नक्षत्रों/दल के पुरोहितों को प्रणाम करता हूँ।
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ॥
Nakṣatrāṇāṁ grahāṇāṁ ca vāy-agny-or-nabhas-stathā,
Dyāvāpṛthivovyoshca tathā namasyāmi kṛtāñjaliḥ.
हिंदी अर्थ:
नक्षत्रों, ग्रहों, वायु, अग्नि, आकाश तथा आकाश और पृथ्वी को नमस्कार करता हूँ,
मैं इनके लिए folded हाथों से प्रणाम करता हूँ।
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येऽहं कृताञ्जलि: ॥
Devarṣīṇāṁ janitṛṁśca sarva-loka-namaskṛtān,
Akṣayyasya sadā dāt ṇaṁ namasye’ham kṛtāñjaliḥ.
हिंदी अर्थ:
देव ऋषियों, उत्पत्ति कारकों और सम्पूर्ण जगत द्वारा पूजित लोक-पूजितों को,
और अक्षय यज्ञ के दाता को—मैं हाथों से सदा प्रणाम करता हूँ।
प्रजापते: कश्यपाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ॥
Prajāpateḥ Kaśyapāya Somāya Varuṇāya ca,
Yogeśvarebhyaśca sadā namasyāmi kṛtāñjaliḥ.
हिंदी अर्थ:
पुनीत प्रजापति, कश्यप, सोम, वरुण और
योगेश्वरों को हाथों से नमन करता हूँ सदा।
नमो गणेभ्यः सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ॥
Namo gaṇebhyaḥ saptabhyas-tathā lokeṣhu saptasu,
Svayambhuve namasyāmi brahmaṇe yogacakṣuṣhe.
हिंदी अर्थ:
सप्त गणों, सप्त लोकों, स्वयंभू भगवान और योगदृष्टिवाले ब्रह्मा को प्रणाम करता हूँ।
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ॥
Somādhārān pitṛ-gaṇān yogamūrtidharaṁstathā,
Namasyāmi tathā somaṁ pitaraṁ jagatāmaham.
हिंदी अर्थ:
सोम के आधारों (चन्द्र-गणों), पितृगणों, योगमूर्ति-धारकों,
और चंद्रदेव सोमनाथ एवं जगत के पितरों का मैं नमन करता हूँ।
सार
यह पितृ स्त्रोत — पितृपूजन और पितृसदभावना हेतु आदरणीय, दिव्य आत्माओं—देवता, ऋषि, ग्रह, नक्षत्र-समूह, यज्ञदाताओं, पितरों—को हाथों से नमन एवं सम्मानित करने का स्तोत्र है।
श्लोकों में सम्पूर्ण सृष्टि के आदिशक्तियों व आदिकारों को सम्मिलित किया गया है।
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