Devyaparadha Kshamapana Stotram – A Powerful Prayer for Forgiveness

Category:Goddess Stotra
Sub Category:Top Hindu Goddesses and Their Powerful Stotras – Complete Guide
Devyaparadha Kshamapana Stotram – A Powerful Prayer for Forgiveness
Devyaparadha Kshamapana Stotram – A Powerful Prayer for Forgiveness Icon

Introduction

  • Atha Devyaparadha Kshamapana Stotram – Introduction (in English)

  • This heartfelt hymn is a prayer of apology addressed to Goddess Durga, seeking forgiveness for all conscious and unconscious mistakes.

  • Composed by Adi Shankaracharya, it expresses deep humility, surrender, and remorse before the Divine Mother.

  • The devotee confesses worldly distractions and spiritual shortcomings, and seeks her unconditional grace.

  • Chanting this stotra brings mental purification, peace, and divine compassion.

  • It is especially recited at the end of Devi worship, Navratri, or daily sadhana as a mark of devotion and humility.


।।अथ देव्यापराजितक्षमापन स्तोत्रम् ।।


न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो
न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथाः।
न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं
परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम्॥1॥
Na mantram no yantram tadapi ca na jāne stutimaho
Na cāhvānaṁ dhyānaṁ tadapi ca na jāne stutikathāḥ.
Na jāne mudrāste tadapi ca na jāne vilapanaṁ
Paraṁ jāne mātastvadanusaraṇaṁ kleśaharaṇaṁ ||1||

हिन्दी अर्थ:
मैं न तो मन्त्र जानता हूँ, न यन्त्र; न वाणी, ध्यान, स्तुति-कीर्तन करता हूँ। मुद्राएँ नहीं जानता, न विलापन (बिनती)। परन्तु मैं एकमात्र आपके ही अनुसरण को जानता हूँ—हे माता, वो भी मेरे सारे कष्टों का नाश करने वाला।


विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत्।
तदेतत् क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति॥2॥
Vidherajñānena draviṇavirheṇa alasatayā
Vidheyāśakyatvāt tava caraṇayoryā cyutirabhūt.
Tadetat kṣantavyaṁ janani sakaloddhāriṇi śive
Kupuṭro jāyeta kvacidapi kumātā na bhavati ||2||

हिंदी अर्थ:
हे शिवशक्ति! मेरी अक्षमता, आलस्य, धन-भावना की कमी के कारण मैं आपके चरणों से विचलित हो गया। हे सम्पूर्ण उद्धार करने वाली माता! मुझ भये कुपुत्र (खराब बेटा) से अच्छा कुमाता तो नहीं ही बनना है—इसलिए मुझे क्षमा करें।

पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः
परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः।
मदीयोऽयं त्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति॥3॥
Pṛthivyāṁ putrāste janani bahavaḥ santi saralāḥ
Paraṁ teṣāṁ madhye viralataralo’ham tava sutaḥ.
Madiyo’yaṁ tyāgaḥ samucitamidaṁ no tava śive
Kupuṭro jāyeta kvacidapi kumātā na bhavati ||3||

हिंदी अर्थ:
हे मां! पृथ्वी पर आपके अनेक बेटे बहुत सरल और विनीत हैं, पर मेरे जैसे संकलित व असंयमी बहुत कम हैं। हे शिवशक्ति! क्या यह त्याग (अगर कोई हो) मेरे लिये पर्याप्त है? कृपा करें कि मैं भयंकर पुत्र या कुमाता बने—यह न हो।

जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया।
तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति॥4॥
Jaganmātar-mātastava caraṇasevā na racitā
Na vā dattaṁ devi draviṇamapi bhūyastava mayā.
Tathāpi tvaṁ snehaṁ mayi nirupamaṁ yatprakuruṣe
Kupuṭro jāyeta kvacidapi kumātā na bhavati ||4||

हिंदी अर्थ:
हे जगन्माता! मैंने कभी आपके चरणों की सेवा पूरी नहीं की, न ही कुछ समर्थतापूर्वक आपको अर्पित किया। फिर भी आपने मुझ पर जो अनन्य स्नेह किया—उस कृपा से यह ही प्रार्थना है कि मैं कुपुत्र-कुमाता बने—ऐसा न हो।

परित्यक्ता देवा विविधविधसेवाकुलतया
मया पञ्चाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि।
इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता
निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम्॥5॥
Parityaktā devā vividavidhasevākulatayā
Mayā pañcāśīteradhikamapanīte tu vayasi.
Idānīṁ cenmātas tva yadi kṛpā nāpi bhavitā
Nirālambō lambōdarajanani kaṁ yāmi śaraṇam ||5||

हिंदी अर्थ:
हे माता! मुझे आपकी विविधभक्तिभाषा में परिवर्तन के कारण श्रम करने पड़े और आपसे निरंतर सेवा छूटी। अब मेरी आयु पांच दशक से अधिक हो गई। ऐसे में यदि अभी भी आपकी कृपा न हो तो इस निर्गुण पुरुष को—जिसकी कोई आश्रय ही नहीं—कहाँ शरण ले जाऊँ?

श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा
निरातङ्को रङ्को विहरति चिरं कोटिकनकैः।
तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं
जनः को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ॥6॥
Śvapāko jalpāko bhavati madhupākopamagirā
Nirātạṅkō raṅkō viharati ciraṁ kōṭikanakaiḥ.
Tavāparṇe karṇē viśati manuvarṇē phalamidaṁ
Janaḥ kō jānīte janani japaniyāṁ japavidhau ||6||

हिंदी अर्थ:
साँप गोद में मोरी चाल जैसे खेलने लगे, मधुपशुपति चचा ढूंढने लगे; फिर लोग क्या सोचेंगे? आपके अर्पित पर्णकणों में मनु संहिताजनक फल प्रविष्ट हो जाता है—ऐसी जप-प्रक्रिया कौन जानता है? हे मात्री!


चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो
जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपतिः।
कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं
भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम्॥7॥
Citābhasmālēpō garalam aśanaṁ dikpaṭadharo
Jaṭādhārī kaṇṭhē bhujagapati-hārī paśupatiḥ.
Kapālī bhūtēśō bhajati jagadīśaikapadavīṁ
Bhavāni tvat pāṇīgṛhaṇa-paripāṭī phalam idam ||7||

हिन्दी अर्थ:
अधिक कठोर तपस्या करके कपाट-धारी पशुपति महादेव झटपट आपकी ओर झुकते हैं—और आपके पाव-परिक्रमा से दिव्य फल भी मिलता है। हे भवानी! यह सब मुझे भी मिले।

न मोक्षस्याकाङ्क्षा भवविभववाञ्छापि च न मे
न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुनः।
अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै
मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपतः॥8॥
Na mōkṣasyākāṅkṣā bhavavibhavavāñchāpi ca na mē
Na vijñānāpekṣā śashimukhi sukhēcchāpi na punaḥ.
Atastvāṁ saṁyāce janani jananaṁ yātu mama vai
Mṛḍānī rudrāṇī śiva śiva bhavānīti japataḥ ||8||

हिंदी अर्थ:
माँ, मैंने न मोक्ष मांगा है, न वैभव, न विद्या, न चंद्रमुखी सुख इच्छाएँ। इसलिए मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ—हे ज्ञानी, शिव, भवानी! मुझे गर्भ से जन्म दें और हर दिन जाप रूप में मंत्र-जप करूं।


नाराधितासि विधिना विविधोपचारैः
किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभिः।
श्यामे त्वमेव यदि किञ्चन मय्यनाथे
धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव॥9॥
Nārādhitāsi vidhinā vividhōpacharaiḥ
Kiṁ rukṣacintanaparair na kṛtaṁ vacōbhiḥ.
Śyāme tvameva yadi kiñcana mayyanāthē
Dhatsē kṛpāmuchitamamba paraṁ tavaiva ||9||

हिंदी अर्थ:
हे श्यामा! आपने विभिन्न अनुष्ठानों से आपकी पूजा की—कितना कठिन हुआ, केवल चिंतन से, बातों से नहीं। हे मय्यनाथ! क्या आपने कभी थोड़ी सी भी कृपा की? अब कृपा करके वह सब हो—जिसका दिखाव नहीं, वह परम हो, केवल आपकी ही पवित्र कृपा से।

आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं
करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि।
नैतच्छठत्वं मम भावयेथाः
क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति॥10॥
Āpatsu magnaḥ smaraṇaṁ tvadīyaṁ
Karomi durgē karuṇārṇavēśi.
Naitacchaṭha­tvaṁ mama bhāvayēthāḥ
Kṣudhātriṣārtā jananīṁ smaranti ||10||

हिंदी अर्थ:
हे करुणा के सागर! संकटों में डूबा मैं आपकी स्मृति करता हूँ। मैं न छल करता हूँ, और भूख-प्यास से उपजी पीड़ा कहती है—हे जननी! वह मुझे स्मरण करते हैं।


जगदम्ब विचित्रमत्र किं परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि।
अपराधपरम्परापरं न हि माता समुपेक्षते सुतम्॥11॥
Jagadamba vicitra matra kiṁ paripūrṇā karuṇāsti cēnmayi।
Aparādhaparamparāparaṁ na hi mātā samupēksatē sutam ||11||

हिंदी अर्थ:
हे जगदम्बा! क्या आपकी कोमल दया इतनी विस्तृत नहीं कि—भूल-त्रुटियों की श्रृंखला से भी आप अपने बेटे को उपेक्षित नहीं करतीं?


मत्समः पातकी नास्ति पापघ्नी त्वत्समा न हि।
एवं ज्ञात्वा महादेवि यथायोग्यं तथा कुरु॥12॥
Matsamaḥ pātakī nāsti pāpaghnī tvatsamā na hi।
Evaṁ jñātvā mahādēvi yathāyōgyaṁ tathā kuru ||12||

हिंदी अर्थ:
हे देवी! ऐसा कोई पापी नहीं है जिसकी रक्षा करने वाली आप नहीं! आपकी तुलना कोई नहीं कर सकता। यह जान कर आप उचित रूप से कार्य करें।
 समाप्ति पंक्ति
इति श्रीशङ्कराचार्यविरचितं देव्यपराधक्षमापना स्तोत्रं सम्पूर्णम्

Copyright © 2025 DevNaman Co., Ltd. All Rights Reserved.
Design: DevNaman