शिव उवाच
देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी ।
कलौ हि कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः ॥
Devi tvaṁ bhakta‑sulabhe sarva‑kārya‑vidhāyinī |
Kalau hi kārya‑siddhyarthaṁ upāyaṁ brūhi yatnataḥ ||
हिंदी अर्थ:
हे देवी! भक्तजन आपके पास सहज पहुँच पाते हैं। आप सभी कार्यों की सिद्धि कराने वाली हैं। कृपया इस कलियुग में कार्य सिद्धि हेतु कोई उपाय बताइए।
शृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम् ।
मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥
Śṛṇu deva pravakṣyāmi kalau sarveṣṭa‑sādhanam |
Mayā tavaiva snehena apyam bāstutiḥ prakāśyate ||
हिंदी अर्थ:
शिव! सुनिए, मैं कलियुग में सभी इच्छाओं की पूर्ति हेतु उपाय बताऊँगी। अपनी विशेष ममता से मैंने यह स्तुति आपके लिए प्रकट की है।
विनियोग
ॐ अस्य श्री दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः, श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकी दुर्गापाठे विनियोगः ।
Om asya śrī durgā saptashlokī stotramantrasya nārāyaṇa ṛṣiḥ, anuṣṭup chandaḥ, śrīmahākālimahālakṣmīmahāsaṛasvatyo devatāḥ, śrī dūrgāprītyarthaṁ saptashlokī durgāpāṭhe viniyogaḥ.
हिंदी अर्थ:
ॐ—नारायण ऋषि द्वारा रचित, अनुष्टुप छंद में स्थित इस सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्र का उद्देश्य है महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती को प्रसन्न कर, श्री दुर्गा की कृपा प्राप्त करना।
ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हिसा ।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥ 1 ॥
Om jñānināmapi cetāṁsi devī bhagavatī hīsā |
Balādākr̥ṣya mohāya mahāmāyā prayacchati || 1 ||
हिंदी अर्थ:
ओम्—देवी भगवती, जो महान माया द्वारा ज्ञानी मनुष्यों को भी मोह में बाँध देती हैं, जलते हुये भी उनका हृदय संचालित कर देती हैं।
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः ।
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।
दारिद्र्यदुःखभयहारिणि त्वदन्या ।
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ॥ 2 ॥
Durge smṛtā harasi bhītiṁ aśeṣajantoḥ |
Svasthaiḥ smṛtā matimatīva śubhaṁ dadāsi |
Dāridrya-duḥkha-bhayahāriṇi tvad-anyā |
Sarvopakārakaraṇāya sadārdracittā || 2 ||
हिंदी अर्थ:
हे दुर्गा! आपका स्मरण करने पर आप समस्त प्राणियों का भय हर लेती हैं। स्वस्थजन आपका स्मरण करते हैं तो उन्हें मुकाबिल बुद्धि और शुभता से नवाजती हैं। आप ही गरीबी, दुःख, भय नष्ट करने वाली हैं और सदा करुणापूर्ण रहती हैं।
सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ॥ 3 ॥
Sarva-mangala-mangalyē śivē sarvārtha-sādhikē |
Śaraṇyē tryambakē Gauri Nārāyaṇi namō’stutē || 3 ||
हिंदी अर्थ:
हे सर्व मंगल की मंगलकर्ता, शिव स्वरूपा, समस्त कार्य सिद्ध करने वाली, सबकी शरण होने वाली त्रिपुरा भैरवी और नारायणी! आपको मेरा नमस्कार।
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते ॥ 4 ॥
Śaraṇāgata-dīnārta-paritrāṇa-parāyaṇē |
Sarvasyārti-harē dēvi Nārāyaṇi namō’stutē || 4 ||
हिंदी अर्थ:
हे देवी नारायणी! जो शरणागत, निर्धन, दुखी और पीड़ित प्राणियों की रक्षा करने वाली हैं। आपको मेरा नमस्कार।
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते ॥ 5 ॥
Sarvasvarūpē sarvēśē sarvaśaktisamanvitē |
Bhayēbhyastrāhi nō dēvi durgē dēvi namō’stutē || 5 ||
हिंदी अर्थ:
हे देवी दुर्गा! आप सभी रूपों की सर्वस्वरूपा, सर्वाधिपति और पूर्ण शक्ति से युक्त हैं। आप हमें सभीरूपों के भय से बचाना—ऐसा मेरा salute।
रोगानशोषानपहंसि तुष्टा रूष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥ 6 ॥
Rogān-aśōṣāna-pahaṁsi tuṣṭā rūṣṭā tu kāmān sakalānabhīṣṭān |
Tvāmāśritānāṁ na vipannarāṇāṁ tvāmāśritā hmaśrayatāṁ prayānti || 6 ||
हिंदी अर्थ:
हे देवी! चाहे प्रसन्न हों या क्रोधित, आप रोग और संकटों को दूर करती हैं। अपने भक्तों को कभी विपत्ति नहीं आती, जो आपकी शरण में रहते हैं उनके लिए आप irivinaśanam || 7 ||
आश्रय-कुंज हैं।
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्र्वरि ।
एवमेव त्वया कार्यमस्यद्वैरिविनाशनम् ॥ 7 ॥
Sarvābādhāpraśamanaṁ trailokyasyākhileśvarī |
Evamēva tvayā kāryam asyadva
हिंदी अर्थ:
हे त्रिलोक-शासिनी! मेरी सभी बाधाएं दूर करें। इसी तरीके से, मेरे कार्यों में मेरी शत्रुता भी समाप्त हो जाए—ऐसा आशा करती हूं।
इति श्री सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् सम्पूर्णम्।
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