Kanakadhara Stotra by Adi Shankaracharya – For Wealth, Grace & Prosperity:

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Kanakadhara Stotra by Adi Shankaracharya – For Wealth, Grace & Prosperity:
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Introduction -

  • Kanakadhara Stotram is a powerful hymn composed by Adi Shankaracharya to invoke the blessings of Goddess Lakshmi.
  • The term “Kanakadhara” means “a stream of gold,” symbolizing the divine shower of wealth and grace.
  • The stotram was composed after Adi Shankaracharya was moved by a poor woman’s devotion, and Lakshmi blessed her with a rain of gold.
  • It contains 21 Sanskrit verses, each praising the qualities and divine beauty of Goddess Lakshmi.
  • Regular recitation is believed to remove poverty, bring wealth, peace of mind, and spiritual upliftment.


॥ कनकधारा स्तोत्रम् ॥


अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती
भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्।
अङ्गीकृताऽखिलविभूतिरपाङ्गलीला
माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गळदेवतायाः॥
Angam hareḥ pulaka-bhūṣaṇam āśrayantī
Bhr̥ṅgāṅganeva mukulābharaṇaṁ tamālam।
Aṅgīkr̥tā’khila-vibhūtir-apāṅga-līlā
Māṅgalyadāstu mama maṅgaḷa-devatāyāḥ॥

हिंदी अर्थ:
श्रीहरि का शरीर रोमांच से अलंकृत हो रहा है, जिसे लक्ष्मीजी की दृष्टि तमाल वृक्ष के समान श्याम वर्ण की शोभा के समान अलंकृत कर रही है। जैसे कोई भौंरा कली को सजाता है वैसे ही। लक्ष्मीजी की यह चंचल कटाक्ष लीला, जिन्होंने सारी संपत्तियाँ स्वीकार की हैं, वह मेरे लिए मंगलदायिनी हों।

संस्कृत:
मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः
प्रेमत्रपा-प्रणहितानि गताऽऽगतानि।
मालादृशोर्मधुकरीव महोत्पले या
सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः॥

 Mugdhā muhur-vidadhatī vadane murāreḥ
Prema-trapā-praṇahitāni gatāgātāni।
Mālā-dṛśor-madhukarīva mahotpale yā
Sā me śriyaṁ diśatu sāgara-sambhavāyāḥ॥

हिंदी अर्थ:
जो लक्ष्मीजी श्रीहरि के मुख की ओर प्रेम, लज्जा और संकोच से बार-बार देखती और फिर दृष्टि फेर लेती हैं, जैसे कमल के फूल पर भ्रमरी बार-बार आती-जाती है — वह सागर से उत्पन्न श्री लक्ष्मीजी मुझे भी वैसी ही श्री (समृद्धि) प्रदान करें।

संस्कृत:
विश्वामरेन्द्रपद-वीभ्रमदानदक्ष
आनन्द-हेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्धम्
इन्दीवरोदर-सहोदरमिन्दिरायाः॥
Viśvāmarendra-pada-vībhra-ma-dāna-dakṣa
Ānanda-hetur-adhikaṁ mura-vidviṣo’pi।
Īṣan-niṣīdatu mayi kṣaṇam-īkṣaṇārdham
Indīvaro-dara-sahodaram-indirāyāḥ॥

हिंदी अर्थ:
जो लक्ष्मीजी, इन्द्रादि देवताओं को स्वर्ग का पद देने में समर्थ हैं, और भगवान विष्णु की भी प्रियतमा हैं — उनका कमल के समान नेत्रों का एक क्षण भर का कटाक्ष भी मेरे ऊपर हो जाए, वही मेरे लिए अत्यधिक आनंद का कारण बने।

आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्द
आनन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम्।
आकेकरस्थित-कनीनिकपक्ष्मनेत्रं
भूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः॥
Āmīlitākṣam-adhigamya mudā Mukunda
Ānanda-kandam-animeṣam-anaṅga-tantram।
Ākekara-sthita-kanīnika-pakṣma-netraṁ
Bhūtyai bhaven-mama bhujaṅga-śayāṅganāyāḥ॥

 जो लक्ष्मीजी अपने अर्धनिमीलित नेत्रों से आनंदमय श्री मुकुन्द (भगवान विष्णु) को देखती हैं, और जिनकी आँखें बिना पलक झपकाए प्रेम से एकटक निहारती हैं — वह उनके नेत्रों की एक झलक भी मेरे सौभाग्य का कारण बन जाए।

संस्कृत:
बाह्वन्तरे मधुजितः श्रित कौस्तुभे या
हारावलीव हरिनीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला
कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः॥
Bāhv-antare madhujitaḥ śrita-kaustubhe yā
Hārāvalīva hari-nīlamayī vibhāti।
Kāma-pradā bhagavato’pi kaṭākṣa-mālā
Kalyāṇam-āvahatu me kamalālayāyāḥ॥

हिंदी अर्थ:
जो लक्ष्मीजी भगवान विष्णु की छाती पर कौस्तुभ मणि के समीप एक नीली हार की तरह शोभा देती हैं, जिनकी कटाक्ष-माला स्वयं भगवान को भी कामना प्रदान करती है — वह मेरी भी भलाई और कल्याण लाए।

संस्कृत:
कालाम्बुदाळि-ललितोरसि कैटभारे-
धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव।
मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्ति-
भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः॥
Kālāmbuda-āḷi-lalitorasi kaiṭabhāre-
Dhārādhare sphurati yā taḍid-aṅganeva।
Mātuḥ samasta-jagatāṁ mahanīya-mūrti-
Bhadraāṇi me diśatu Bhārgava-nandanāyāḥ॥

हिंदी अर्थ:
जो लक्ष्मीजी भगवान विष्णु की वक्षस्थल पर काले मेघों के बीच बिजली की भाँति चमकती हैं, वह सम्पूर्ण सृष्टि की माता, भृगु ऋषि की पुत्री, मुझे शुभ फल प्रदान करें।

संस्कृत:
प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत् प्रभावान्
माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेन।
मय्यापतेत्तदिह मन्थरमीक्षणार्धं
मन्दालसं च मकरालयकन्यकायाः॥
Prāptaṁ padaṁ prathamataḥ kila yat prabhāvān
Māṅgalya-bhāji madhumāthini manmathena।
Mayyāpatet-tadiha manthara-mīkṣaṇārdhaṁ
Mandālasaṁ ca makarālaya-kanyakāyāḥ॥

हिंदी अर्थ:
जिस लक्ष्मीजी की मंद-मंद दृष्टि ने भगवान विष्णु को पहले ही सौभाग्यशाली बना दिया, उसी प्रकार उनकी एक सौम्य और थोड़ी सुस्तीभरी दृष्टि मुझ पर भी पड़े और मुझे भी सौभाग्य प्राप्त हो।

संस्कृत:
दद्याद् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम्
अस्मिन्नकिञ्चन विहङ्गशिशौ विषण्णे।
दुष्कर्म-घर्ममपनीय चिराय दूरं
नारायणप्रणयिनी नयनाम्बुवाहः॥

 Dadyād dayānupavano draviṇāmbu-dhārām
Asminn-akiñcana vihaṅga-śiśau viṣaṇṇe।
Duṣkarma-gharma-mapanīya cirāya dūraṁ
Nārāyaṇa-praṇayinī nayanāmbu-vāhaḥ॥

हिंदी अर्थ:
जैसे बादल वर्षा करते हैं, वैसे ही भगवान नारायण की प्रिय लक्ष्मीजी की दयामयी दृष्टि मुझ जैसे दरिद्र और दुखी प्राणी पर धन की वर्षा करे और मेरे पापों की तपन को दूर करे।

संस्कृत:
इष्टाविशिष्टमतयोऽपि यया दयार्द्र-
दृष्ट्या त्रिविष्टपपदं सुलभं लभन्ते।
दृष्टिः प्रहृष्टकमलोदरदीप्तिरिष्टां
पुष्टिं कृषीष्ट मम पुष्करविष्टरायाः॥

 Iṣṭāviśiṣṭa-matayo’pi yayā dayārdra-
Dṛṣṭyā triviṣṭapa-padaṁ sulabhaṁ labhante।
Dṛṣṭiḥ prahṛṣṭa-kamalodara-dīptir-iṣṭāṁ
Puṣṭiṁ kṛṣīṣṭa mama puṣkara-viṣṭarāyāḥ॥

हिंदी अर्थ:
जिनकी करुणा से पूजनीय और विशेष जन भी स्वर्ग पद को आसानी से प्राप्त कर लेते हैं, वही प्रसन्न कमल-नेत्रों वाली लक्ष्मीजी की दृष्टि मुझे भी मनोवांछित पुष्टता (संपन्नता) प्रदान करे।

संस्कृत:
गीर्देवतेति गरुडध्वजभामिनीति
शाकम्भरीति शशिशेखरवल्लभेति।
सृष्टिस्थितिप्रलयकेलिषु संस्थितायै
तस्यै नमोऽस्तु त्रिभुवनैकगुरोस्तरुण्यै॥

 Gīr-devatetī Garuḍa-dhvaja-bhāminītī
Śākambharītī śaśi-śekhara-vallabhetī।
Sṛṣṭi-sthiti-pralaya-keliṣu saṁsthitāyai
Tasyai namo’stu tribhuvanaika-guroḥ taruṇyai॥

हिंदी अर्थ:
वह देवी जो वाणी की अधिष्ठात्री (सरस्वती), गरुड़ध्वज विष्णु की प्रिया, शाकम्भरी और चंद्रशेखर (शिव) की भी प्रिय हैं, जो सृष्टि, स्थिति और प्रलय की लीलाओं में लीन हैं — उन त्रिभुवनगुरु भगवान की तरुणी शक्ति को मेरा प्रणाम हो।

संस्कृत:
श्रुत्यै नमोऽस्तु नमस्त्रिभुवनैक-
फलप्रसूत्यै रत्यै नमोऽस्तु रमणीयगुणाश्रयायै।
शक्त्यै नमोऽस्तु शतपत्रनिकेतनायै
पुष्ट्यै नमोऽस्तु पुरुषोत्तमवल्लभायै॥

 Śrutyai namo’stu namaḥ tribhuvanaika-
Phala-prasūtyai ratyai namo’stu ramaṇīya-guṇāśrayāyai।
Śaktyai namo’stu śata-patra-niketanāyai
Puṣṭyai namo’stu puruṣottama-vallabhāyai॥

हिंदी अर्थ:
जो वेदों में वर्णित हैं, तीनों लोकों को फल प्रदान करती हैं, रमणीय गुणों की अधिष्ठात्री हैं — ऐसी शक्ति, सौंदर्य, पुष्टि की देवी और भगवान पुरुषोत्तम की प्रिय लक्ष्मी को मेरा नमस्कार हो।

संस्कृत:
नमोऽस्तु नालीकनिभाननायै
नमोऽस्तु दुग्धोदधिजन्मभूत्यै।
नमोऽस्तु सोमामृतसोदरायै
नमोऽस्तु नारायणवल्लभायै॥
Namo’stu nālīka-nibhānanāyai
Namo’stu dugdhodadhi-janma-bhūtyai।
Namo’stu somāmṛta-sodarāyai
Namo’stu Nārāyaṇa-vallabhāyai॥

हिंदी अर्थ:
जिनका मुख कमल के समान है, जो क्षीरसागर से उत्पन्न हुई हैं, अमृत और चंद्रमा की बहन हैं, और भगवान नारायण की प्रिय हैं — ऐसी लक्ष्मी देवी को मेरा बारंबार नमस्कार।

संस्कृत:
नमोऽस्तु हेमाम्बुजपीठिकायै
नमोऽस्तु भूमण्डलनायिकायै।
नमोऽस्तु देवादिदयापरायै
नमोऽस्तु शार्ङ्गायुधवल्लभायै॥
Namo’stu hemāmbuja-pīṭhikāyai
Namo’stu bhūmaṇḍala-nāyikāyai।
Namo’stu devādidayāparāyai
Namo’stu śārṅgāyudha-vallabhāyai॥

हिंदी अर्थ:
जो स्वर्ण कमल पर विराजमान हैं, समस्त पृथ्वी की अधीश्वरी हैं, देवताओं पर दया करने वाली हैं और शार्ङ्ग धनुषधारी विष्णु भगवान की प्रिय हैं — उन्हें मेरा प्रणाम।

संस्कृत:
नमोऽस्तु देव्यै भृगुनन्दनायै
नमोऽस्तु विष्णोरुरसि स्थितायै।
नमोऽस्तु लक्ष्म्यै कमलालयायै
नमोऽस्तु दामोदरवल्लभायै॥
Namo’stu devyai Bhṛgu-nandanāyai
Namo’stu Viṣṇor-urasi sthitāyai।
Namo’stu Lakṣmyai Kamalālayāyai
Namo’stu Dāmodara-vallabhāyai॥

हिंदी अर्थ:
जो भृगु ऋषि की पुत्री हैं, विष्णु जी के वक्षस्थल पर विराजमान हैं, कमल में निवास करने वाली लक्ष्मी हैं और दामोदर भगवान की प्रिय हैं — उन्हें बारंबार प्रणाम।

संस्कृत:
नमोऽस्तु कान्त्यै कमलेक्षणायै
नमोऽस्तु भूत्यै भुवनप्रसूत्यै।
नमोऽस्तु देवादिभिरर्चितायै
नमोऽस्तु नन्दात्मजवल्लभायै॥
Namo’stu kāntyai Kamale-kṣaṇāyai
Namo’stu bhūtyai Bhuvana-prasūtyai।
Namo’stu devādibhir-arcitāyai
Namo’stu Nandātmaja-vallabhāyai॥

हिंदी अर्थ:
जो कान्तिस्वरूपा हैं, कमल के नेत्रों वाली हैं, सृष्टि की उत्पत्ति कारण हैं, देवताओं द्वारा पूजित हैं और भगवान कृष्ण की प्रियतमा हैं — उन्हें मेरा बारंबार प्रणाम।

संस्कृत:
सम्पत्कराणि सकलेन्द्रिय-नन्दनानि
साम्राज्यदान विभवानि सरोरुहाक्षि।
त्वद्-वन्दनानि दुरिताहरणोद्यतानि
मामेव मातरनिशं कलयन्तु नान्यत्॥
Sampat-karāṇi sakalendriya-nandanāni
Sāmrājya-dāna vibhavāni saroruha-akṣi।
Tvad-vandanāni durita-haraṇa-udyatāni
Māmeva mātar-niśaṁ kalayantu nānyat॥

हिंदी अर्थ:
हे कमल-नयन देवी! आपके वंदन, जो सभी इन्द्रियों को आनंदित करने वाले, राजसिंहासन देने वाले और समस्त दोषों का नाश करने वाले हैं — वही वंदन मेरी रात-दिन की आराधना बनें। और कुछ नहीं चाहिए।

संस्कृत:
यत्कटाक्ष-समुपासनाविधिः
सेवकस्य सकलार्थसम्पदः।
सन्तनोति वचनाङ्गमानसैः
त्वां मुरारि-हृदयेश्वरीं भजे॥
Yat-kaṭākṣa-samupāsanā-vidhiḥ
Sevakasya sakalārtha-sampadaḥ।
Santanoti vacanāṅga-mānasaiḥ
Tvāṁ Murāri-hṛdayeśvarīṁ bhaje॥

हिंदी अर्थ:
हे श्रीहरि के हृदय में निवास करने वाली लक्ष्मी! जिनकी कृपा-दृष्टि की साधना से सेवक को सभी प्रकार की संपत्तियाँ प्राप्त होती हैं — मैं उस साधना से, वाणी, शरीर और मन से आपकी भक्ति करता हूँ।

संस्कृत:
सरसिजनिलये सरोजहस्ते
धवलतरांशुक-गन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे
त्रिभुवन-भूतिकरि प्रसीद मह्यम्॥

 Sarasija-nilaye saroja-haste
Dhavalatara-aṁśuka-gandha-mālya-śobhe।
Bhagavati Hari-vallabhe manojñe
Tribhuvana-bhūti-kari prasīda mahyam॥

हिंदी अर्थ:
हे कमल में निवास करने वाली, कमल के हाथों से युक्त, शुभ्र वस्त्र और पुष्पमालाओं से सुशोभित, श्रीहरि की प्रिय, तीनों लोकों को ऐश्वर्य देने वाली सुंदरी लक्ष्मी! मुझ पर कृपा कीजिए।

संस्कृत:
दिग्घस्तिभिः कनककुम्भमुखावसृष्ट
स्वर्वाहिनीविमलचारु-जलप्लुताङ्गीम्।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष
लोकाधिराजगृहिणीममृताब्धिपुत्रीम्॥
Dig-ghastibhiḥ kanaka-kumbha-mukhāvasṛṣṭa
Swar-vāhinī-vimala-cāru-jala-plutāṅgīm।
Prātar-namāmi jagatāṁ jananīm-aśeṣa
Lokādhirāja-gṛhiṇīm amṛtābdhi-putrīm॥

हिंदी अर्थ:
प्रातःकाल मैं उस अमृतसागर की पुत्री, समस्त लोकों के अधिपति भगवान विष्णु की अर्धांगिनी, और समस्त सृष्टि की जननी लक्ष्मी को प्रणाम करता हूँ — जो स्वर्ण कलशों से गिरते हुए दिव्य जल से स्नान की हुई हैं।

संस्कृत:
कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं
करुणापूरतरङ्गितैरपाङ्गैः।
अवलोकय मामकिञ्चनानां
प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयायाः॥
Kamale kamalākṣa-vallabhe tvaṁ
Karuṇā-pūra-taraṅgitair-apāṅgaiḥ।
Avalokaya mām akiñcanānāṁ
Prathamaṁ pātram-akṛtrimam dayāyāḥ॥

हिंदी अर्थ:
हे कमले! हे कमलनेत्र विष्णु की प्रिया! अपनी करुणा से तरंगित दृष्टि से मुझ जैसे निर्धन पर कृपा करें — जो आपकी सच्ची दया का सबसे योग्य पात्र है।

संस्कृत:
स्तुवन्ति ये स्तुतिभिरमीभिरन्वहं
त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो
भवन्ति ते भुवि बुधभाविताशयाः॥
Stuvanti ye stutibhir-amībhiḥ anvahaṁ
Trayī-mayīṁ tribhuvana-mātaraṁ Ramām।
Guṇādhikā gurutara-bhāgya-bhāgino
Bhavanti te bhuvi budha-bhāvita-āśayāḥ॥

हिंदी अर्थ:
जो व्यक्ति प्रतिदिन इस रमादेवी की स्तुति इन श्लोकों द्वारा करता है — वे ज्ञानी, पुण्यात्मा, भाग्यशाली और सद्गुणों से भरपूर होते हैं, और इस पृथ्वी पर पूजनीय बनते हैं।

समाप्त पंक्ति:

॥ श्रीमदाध्यशङ्कराचार्यविरचितं श्री कनकधारा स्तोत्रम् समाप्तम् ॥

 ॥ Śrīmad-Ādi Śaṅkarācārya-viracitaṁ Śrī Kanakadhārā Stotram Samāptam ॥
आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित श्री कनकधारा स्तोत्र का समापन।

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