Introduction -
शिव पंचाक्षर स्तोत्र
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय ॥१॥
Naagendra-haaraaya Trilochanaaya
Bhasmaangaraagaaya Maheshvaraaya।
Nityaaya Shuddhaaya Digambaraaya
Tasmai Nakaaraaya Namah Shivaaya॥1॥
भावार्थ:
जो सर्पों की माला धारण करते हैं, तीन नेत्रों वाले हैं, भस्म से शरीर सजाते हैं, दिगम्बर (वस्त्रहीन) हैं, शुद्ध, नित्य और महेश्वर हैं — ऐसे "न" कार वाले शिव को नमस्कार है।
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वरप्रमुखगणैर्भृतसेविताय ।
मुण्डाधिपाय फणिराजेश्वराय
तस्मै मकाराय नमः शिवाय ॥२॥
Mandaakinee-salila-chandana-charchitaaya
Nandeeshvara-pramukha-ganaihi bhrita-sevitaaya।
Mundaadhipaaya Phaniraajeshvaraaya
Tasmai Makaaraaya Namah Shivaaya॥2॥
भावार्थ:
जो मंदाकिनी जल और चंदन से पूजित हैं, जिन्हें नंदी और गण सेवित करते हैं, जो मुण्डमालधारी और नागराज के स्वामी हैं — ऐसे "म" कार वाले शिव को नमस्कार है।
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै शिकाराय नमः शिवाय ॥३॥
Shivaaya Gauri-vadana-abja-vrinda
Suuryaaya Daksha-adhvara-naashakaaya।
Shree-Neelakanthaaya Vrishadhvajaaya
Tasmai Shikaaraaya Namah Shivaaya॥3॥
भावार्थ:
जो गौरी के कमलमुख के स्वामी हैं, सूर्य के समान तेजस्वी हैं, दक्ष यज्ञ का नाश करने वाले, नीलकंठ और वृषध्वज (बैलधारी) हैं — ऐसे "शि" कार वाले शिव को नमस्कार है।
वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनिन्द्रदेवार्चितशेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
तस्मै वकाराय नमः शिवाय ॥४॥
Vashishtha-kumbhodbhava-Gautama-Arya
Muni-indra-deva-archita-shekharaaya।
Chandra-Arka-Vaishwaanara-lochanaaya
Tasmai Vakaaraaya Namah Shivaaya॥4॥
भावार्थ:
जिन्हें वशिष्ठ, अगस्त्य, गौतम आदि ऋषियों और देवताओं ने पूजा है; जिनके नेत्र चंद्र, सूर्य और अग्नि हैं — ऐसे "व" कार वाले शिव को नमस्कार है।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनाथनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै यकाराय नमः शिवाय ॥५॥
Yajna-svaroopaya Jataadharaaya
Pinaaka-hastaaya Sanaathanaaya।
Divyaaya Devaaya Digambaraaya
Tasmai Yakaaraaya Namah Shivaaya॥5॥
भावार्थ:
जो यज्ञस्वरूप हैं, जटाधारी हैं, त्रिशूलधारी हैं, सनातन हैं, दिव्य हैं, देवों के देव हैं और दिगम्बर हैं — ऐसे "य" कार वाले शिव को नमस्कार है।
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
Panchaksharam-idam Punyam Yah Pathet Shiva-sannidhau।
Shiva-lokam Avaapnoti Shivena Saha Modate॥
भावार्थ:
जो कोई इस पवित्र पंचाक्षर स्तोत्र को शिवजी की उपस्थिति में पढ़ता है, वह शिवलोक को प्राप्त करता है और शिवजी के साथ सुखपूर्वक निवास करता है।
Copyright © 2025 DevNaman Co., Ltd. All Rights Reserved.
Design: DevNaman