विनियोग
श्रीगणेशाय नमः॥
अस्य श्रीशनैश्चरस्तोत्रस्य। दशरथ ऋषिः॥
शनैश्चर देवता। त्रिष्टुप् छन्दः॥
शनैश्चरप्रीत्यर्थ जपे विनियोगः॥
Śrīgaṇeśāya namaḥ |
Asya śrīśanaiścarastotrasya. Daśaratha ṛṣiḥ |
Śanaiścara devatā. Triṣṭup chandaḥ |
Śanaiścaraprītyartha jap e viniyogaḥ ||
Hindi:
श्रीगणेश को नमस्कार। इस शनैश्चर स्तोत्र के ऋषि दशरथ हैं। देवता शनैश्चर (शनि), छन्द त्रिष्टुप् है। इस स्तोत्र का जप शनैश्चर की प्रीति हेतु समर्पित है।
कोणोऽन्तको रौद्रयमोऽथ बभ्रुः कृष्णः शनिः पिङ्गलमन्दसौरिः।
नित्यं स्मृतो यो हरते च पीडां तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥1॥
Koṇo’ntako raudrayamo’tha babhruḥ kṛṣṇaḥ śaniḥ piṅgalamandasaurīḥ |
Nityaṁ smṛto yo harate ca pīḍāṁ tasmai namaḥ śrīravinandanāya ||
Hindi अर्थ:
हे शनैश्चर! आपने विभिन्न विभूषाओं में—कोण, अन्तक, रौद्र, यम, बभ्रु, कृष्ण, पिंगल, मंद-सौरी रूप लेकर, हमेशा दुख को नष्ट करने वाले—मैं आपका वंदन करता हूँ।
सुरासुराः किंपुरुषोरगेन्द्रा गन्धर्वविद्याधरपन्नगाश्च।
पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥2॥
Surāsurāḥ kiṁpuruṣhoragendrā gandharvavidyādharapannagāśca |
Pīḍyanti sarve viṣamasthitena tasmai namaḥ śrīravinandanāya ||
Hindi अर्थ:
देव, असुर, किंपुरूष, राक्षस, गंधर्व, विद्यारथी, नाग आदि जो संकट में पीड़ित होते हैं, उन्हें आप मुक्त कर देते हैं—हे रविनंदन (शनि), मेरा नमस्कार स्वीकार करें।
नरा नरेन्द्राः पशवो मृगेन्द्रा वन्याश्च ये कीटपतङ्गभृङ्गाः।
पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥3॥
Narā narendrāḥ paśavo mṛgendrā vanyāśca ye kīṭapataṅgabhṛṅgāḥ |
Pīḍyanti sarve viṣamasthitena tasmai namaḥ śrīravinandanāya ||
Hindi अर्थ:
मनुष्यों, राजाओं, पशुओं, वन्य प्राणियों, कीट-पतंग-सहित सभी संकटग्रस्त प्राणी आपकी पूजा करते हैं—हे शनैश्चर, मेरा प्रणाम स्वीकार करें।
देशाश्च दुर्गाणि वनानि यत्र सेनानिवेशाः पुरपत्तनानि।
पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥4॥
Deśāśca durgāṇi vanāni yatra senāniveśāḥ purapattanāni |
Pīḍyanti sarve viṣamasthitena tasmai namaḥ śrīravinandanāya ||
Hindi अर्थ:
राज्यों, किलों, वन, सैन्य शिविर और नगर—जो संकट के समय पीड़ित होते हैं, सभी आपके चरणों में शरण लेते हैं—हे रविनंदन, मेरा प्रणाम स्वीकार करें।
तिलैर्यवैर्माषगुडान्नदानैर्लोहेन नीलाम्बरदानतो वा।
प्रीणाति मन्त्रैर्निजवासरे च तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥5॥
Tilairyavairmāṣaguḍānna-dānairloḥena nīlāmbara-dānato vā |
Prīṇāti mantrairnija-vāsare ca tasmai namaḥ śrīravinandanāya ||
Hindi अर्थ:
तिल, यव, मूँग, गुड़, अन्न आदि देने या लोहे, नीले वस्त्र अर्पित करने से आप संतुष्ट होते हैं—हे रविनंदन, मेरा प्रणाम स्वीकार करें।
प्रयागकूले यमुनातटे च सरस्वतीपुण्यजले गुहायाम्।
यो योगिनां ध्यानगतोऽपि सूक्ष्मस्तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥6॥
Prayāgakūle yamunā-taṭe ca sarasvatī-puṇyajale guhāyām |
Yo yogināṁ dhyānagato’pi sūkṣmastasmai namaḥ śrīravinandanāya ||
Hindi अर्थ:
प्रयाग, यमुना घाटों, सरस्वती नदी के पवित्र जल या गुफाओं में साधना करने वाले सूक्ष्म योगी भी आपकी ही भक्ति में लीन रहते हैं—हे रविनंदन, मेरा प्रणाम स्वीकार करें।
अन्यप्रदेशात्स्वगृहं प्रविष्टस्तदीयवारे स नरः सुखी स्यात्।
गृहाद्गतो यो न पुनः प्रयाति तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥7॥
Anyapradeśāt sva-gṛhaṁ praviṣṭastadīyavāre sa naraḥ sukhī syāt |
Gṛhād-gato yo na punaḥ prayāti tasmai namaḥ śrīravinandanāya ||
Hindi अर्थ:
जो व्यक्ति अजनबी स्थान से अपने घर लौटकर शनि वार (शनिवार) पर शनि की पूजा करे और कभी फिर शिकवा‑शिकायत न करे, वह सुखी होता है—हे रविनंदन, मेरा प्रणाम स्वीकार करें।
स्रष्टा स्वयंभूर्भुवनत्रयस्य त्राता हरीशो हरते पिनाकी।
एकस्त्रिधा ऋग्यजुःसाममूर्तिस्तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥
Sraṣṭā svayaṁbhūr bhuvana-trayasya trātā harīśo harate pinākī |
Ekastridhā ṛg‑yajuḥ‑sāma-mūrti tasmai namaḥ śrīravinandanāya ||
Hindi अर्थ:
हे रविनंदन, आप स्वयंभू, सृष्टि के त्रिलोक के रचयिता और हरि (शिव) के पारनि (पिनाकधारी) हैं, तुम्हारे एक से तीन रूप—ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद में प्रतिष्ठित हैं—मेरा प्रणाम स्वीकार करें।
शन्यष्टकं यः प्रयतः प्रभाते नित्यं सुपुत्रैः पशुबान्धवैश्च।
पठेत्तु सौख्यं भुवि भोगयुक्तः प्राप्नोति निर्वाणपदं तदन्ते॥9॥
Śanyasṭakaṁ yaḥ prayataḥ prabhāte nityaṁ suputraiḥ paśubāndhavaiśca |
Paṭhettu saukhyaṁ bhuvi bhogayuktaḥ prāpnoti nirvāṇapadaṁ tadante ||
Hindi अर्थ:
जो व्यक्ति प्रतिदिन प्रातः (शनिवार-सुबह) सात बार शनि नामजप करे, पुत्र‑पशु‑सम्बंधियों सहित, उसे संसार में सुख और भोग की प्राप्ति होती है, और अंततः निर्वाण-स्थान तक पहुंचने में सहायक होता है।
कोणस्थः पिङ्गलो बभ्रुः कृष्णो रौद्रोऽन्तको यमः।
सौरिः शनैश्चरो मन्दः पिप्पलादेन संस्तुतः॥10॥
Koṇasthaḥ piṅgalo babhruḥ kṛṣṇo raudro’ntako yamaḥ |
Sauriḥ śanaiścaraḥ mandaḥ pippalādena saṁstutaḥ ||
Hindi अर्थ:
आपके दस नाम—कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्र, अन्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद—पिप्पलाद द्वारा स्तुत हैं।
एतानि दश नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्।
शनैश्चरकृता पीडा न कदाचिद्भविष्यति॥11॥
Etāni daśa nāmāni prātarutthāya yaḥ paṭhet |
Śanaiścarakṛtā pīḍā na kadācidbhaviṣyati ||
Hindi अर्थ:
जो व्यक्ति प्रतिदिन सुबह उठकर ये दस नामों का पाठ करता है, उस पर शनैश्चर से किसी भी रात्र दिन पीड़ा नहीं आती।
Copyright © 2025 DevNaman Co., Ltd. All Rights Reserved.
Design: DevNaman